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अयोध्या, 12 जुलाई (हि.स.)। अयोध्याधाम की प्रतिष्ठित पीठ श्रीहनुमत केलकुंज के पीठाधिपति महंत महावीर शरण महाराज ने कहा कि इस समय सावन का पवित्र माह चल रहा है। हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है। यह साल का पांचवां महीना होता है, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है। यह महीना पूरी तरह से भगवान शिव की पूजा को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में सच्चे मन से शिव की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सावन का महीना चातुर्मास में एक माना जाता है और यह महीना भगवान शिव का माना जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार कहते हैं कि इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था और समुद्र मंथन से जो विष निकला, उसका भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था। तब से ये परंपरा चली आ रही है कि सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी महीने में माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए व्रत रखे थे। उन्होंने इसी महीने में घोर तपस्या भी की। यही कारण है कि भगवान शिव को यह महीना अत्यंत प्रिय है। सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है। पूरे सावन माह में शिवजी की आराधना होती है। भगवान विष्णु के चार माह के लिए योग निद्रा में जाने से सृष्टि का संचालन सावन के एक महीने में महादेव करते हैं। हिंदू धर्म में सावन के महीने को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन सोमवार व्रत करने से साधक को शिव जी कृपा की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक की सभी मनोकामना भी पूरी होती हैं। ऐसे में यह स्त्री व पुरुष दोनों के द्वारा ही किया जा सकता है, जिससे उन्हें शिव जी की कृपा की प्राप्ति होती है।शिव जी के भक्तों के लिए सावन सोमवार के व्रतों की बहुत ज्यादा महत्वता है। इसलिए सभी लोग माता पार्वती और भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं।
महावीर शरण ने कहा इस दिन लोग पूजा के साथ साथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, दूध, बेलपत्र और गंगाजल भी अर्पित करते हैं।लिंग पुराण और शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सावन माह में कठोर तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ण की। इस घटना के कारण सावन माह को भक्ति और तपस्या का महीना माना जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय