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बरेली, 11 जुलाई (हि.स.) । रिटायर्ड वैज्ञानिक से 1.29 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले में बरेली पुलिस को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। खुद को सीबीआई अफसर बताकर वीडियो कॉल पर धमकाने और डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह के दो और सदस्यों को मिर्जापुर से दबोचा गया है। पुलिस और एसटीएफ पहले ही इस गैंग के चार सदस्यों को जेल भेज चुकी है। अब तक कुल छह आरोपित गिरफ्त में आ चुके हैं।
साइबर थाना प्रभारी दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपितों की पहचान मिर्जापुर के जमालपुर निवासी दीपू पांडेय (21) और भदावल निवासी शुभम यादव के रूप में हुई है। दोनों को शुक्रवार को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। उन्हाेंने बताया कि 17 से 20 जून के बीच इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) के रिटायर्ड वैज्ञानिक को अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप और वीडियो कॉल आई। कॉल करने वालों ने खुद को सीबीआई और बेंगलुरु पुलिस का अधिकारी बताया। आरोप लगाया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल फर्जी सिम कार्ड खरीदने और ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे गंभीर अपराधों में हुआ है।
डराने के लिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी दी गई और केस से बचने के लिए तत्काल ऑडिट कराने को कहा गया। इसी बहाने तीन अलग-अलग खातों में कुल 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए। जैसे ही पैसा गिरोह को मिला, उसे 125 अलग-अलग खातों में घुमा दिया गया और फिर क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर डिजिटल वॉलेट्स में भेज दिया गया, ताकि उसका कोई सुराग न मिल सके।
जांच में पता चला है कि यह कोई स्थानीय नहीं, बल्कि अंतरराज्यीय साइबर गिरोह है, जो दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान और यूपी तक फैला हुआ है। गिरोह कमीशन के बदले अलग-अलग लोगों से बैंक खाते किराए पर लेता है। ठगी की रकम पहले इन खातों में डाली जाती है, फिर कई स्तरों पर ट्रांसफर कर उसे क्रिप्टो करेंसी में बदल दिया जाता है।
दिनेश शर्मा ने बताया कि इस गिराेह में शामिल कुल छह आराेपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। कार्रवाई अभी जारी है।
हिन्दुस्थान समाचार / देश दीपक गंगवार