गुजरात में आयोजित सम्मेलन में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने को लेकर हुआ मंथन
धर्मशाला, 11 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने 10 और 11 जुलाई को गुजरात के केवडिया में आयोजित दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन में “भारत में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण” विषय पर एक तकनीकी सत्र
केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए।


धर्मशाला, 11 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने 10 और 11 जुलाई को गुजरात के केवडिया में आयोजित दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन में “भारत में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण” विषय पर एक तकनीकी सत्र का समन्वय किया। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य वैश्विक परिदृश्य की तुलना में हमारे देश में शिक्षा और अनुसंधान परिदृश्य से संबंधित विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करना रहा।

प्रो. बंसल ने इस विषय पर एक विस्तृत निष्कर्ष पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने भारत को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में प्रस्तुत करने हेतु उच्च शिक्षा प्रणाली के अंतर्राष्ट्रीयकरण की तत्काल आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) के ऐसे प्रयास भारत को फिर से ‘विश्व गुरु’ बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

इस दौरान प्रो. बंसल ने विशेष रूप से भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के संबंध में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दृष्टिकोण और प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत से विदेश जाने वाले छात्रों का प्रतिशत, उसी उद्देश्य से भारत आने वाले छात्रों की तुलना में बहुत अधिक है। विदेशों से केवल कुछ ही छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत आ रहे हैं और वे भी कुछ दक्षिण एशियाई देशों, कुछ अफ्रीकी और खाड़ी देशों से हैं। इसके अलावा, भारत आने वाले विदेशी छात्र ज़्यादातर टियर-1 शहरों में स्थित उच्च शिक्षा संस्थानों में केंद्रित हैं, जबकि टियर-2 और टियर-3 शहरों और ग्रामीण इलाकों में स्थित भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान अन्य देशों के छात्रों को आकर्षित करने में सक्षम नहीं हैं।

प्रो. बंसल ने ऐसी कई कमियों और चिंताओं पर ज़ोर दिया जो भारतीय उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की प्रगति में बाधा बन रही हैं। ऐसी कमियों को दूर करने और चुनौतियों व चिंताओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति ने कई रणनीतियां सुझाईं ताकि भारतीय उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण सही अर्थों में हो सके।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया