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धर्मशाला, 11 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल पर्यटन निगम के 14 होटलों को निजी हाथों में सौंपने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व विधान सभा अध्यक्ष एवं सुलह विस क्षेत्र के भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि कांग्रेस सरकार आर्थिक बदहाली का झूठा रोना रोकर सरकारी सम्पत्तियों को बेचने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इससे पहले प्रदेश हाईकोर्ट से 18 होटलों को घाटे से उभारने के लिए समय मांगा था मगर सरकार अपने प्रयासों में असफल रही तथा अब सरकार पुनः 14 होटलों को निजी हाथों में देने की तैयारी में हैं।
विपिन सिंह परमार ने कहा कि इन 14 होटलों में ऐसे कई होटल हैं जिन्हे प्रदेश की धरोहर के रूप में भी पर्यटक देखते हैं, जिन्हें बेचना तर्क संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जनता के साथ उच्च न्यायालय को भी गुमराह किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। सुक्खू सरकार को चलाने में पूरी तरह से नाकाम हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सुक्खू सरकार ने झूठी रिपोर्ट तैयार कर 18 होटलों को घाटे में दिखाया था ताकि होटलों को निजी हाथों में देकर अपने चेहतों को खुश किया जा सके। उन्होंने कहा कि होटलों में कार्यरत हजारों कर्मचारियों को फिर से रोजगार जाने का डर पैदा हो चुका है। नियमित व अनियमित कर्मचारीे पूरी तरह से बेरोजगारी की दलदल में जा गिरेंगे।
उन्होंने कहा कि एचपीटीडीसी के चेयरमैन आरएस बाली सरकार से इस मामले में पुनःविचार की बात कर रहे हैं तथा अपनी ही सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि मंत्रीमंडल की बैठक में इन होटलों को लेकर पूरी जानकारी नहीं दी गई थी, जबकि होटलों को सरकार खुद रेनोवेट कर बेहतर राजस्व कमा सकती है। ऐसे में प्रश्न खड़ा होता है कि क्या सरकार में यह विरोधावास जनता को गुमराह करने के लिए हो रहा है? क्या सरकार ने होटलों को लेकर जो फैसला लिया उसकी जानकारी एचपीटीडीसी के चेयरमैन को नहीं दी गई? अगर एचपीटीडीसी के चेयरमैन आरएस बली 200 करोड़ राजस्व इन होटलों से कमाने की बात कर रहे हैं तो सरकार किसके इशारे पर काम कर रही है। अगर एचपीटीडीसी ने 100 करोड़ का राजस्व पार किया है तो सुक्खू सरकार क्यों इन होटलों को घाटे में दिखाने पर तुली हुई है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया