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शिमला, 11 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में हाल ही में आई भीषण आपदा के बाद राज्य सरकार ने पूरी संवेदनशीलता और तेजी से राहत व बचाव कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आपदाग्रस्त इलाकों में राजनीतिक लाभ के लिए नहीं जाती बल्कि केवल और केवल लोगों की सेवा के लिए काम करती है। मुख्यमंत्री मंडी जिला के आपदा प्रभावित इलाकों के दो दिवसीय दौरे के बाद शुक्रवार को शिमला लौटे। उन्होंने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि प्रदेश सरकार आपदा में बेघर हुए परिवारों को वन भूमि पर बसाने के पक्ष में है, लेकिन अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। उन्होंने प्रदेश के चार लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसदों से अपील की कि वे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलकर इस मामले को प्राथमिकता से उठाएं और हिमाचल के आपदा प्रभावित परिवारों को वन भूमि पर बसाने की अनुमति दिलाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार से अनुमति मिलती है तो राज्य सरकार तुरंत इन परिवारों के लिए मकान बनाने और पुनर्वास का काम शुरू कर देगी ताकि 2023 और इस वर्ष की आपदा में बेघर हुए सभी परिवारों को फिर से बसाया जा सके। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस संबंध में प्रस्ताव पहले ही विधानसभा में पारित हो चुका है और अब सभी सातों सांसदों की जिम्मेदारी है कि वे वन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार से इस मंजूरी को दिलाने के लिए आगे आएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले लोग उस समय की परिस्थितियों के अनुसार नदी-नालों के किनारे घर बनाते थे, जब जलवायु परिवर्तन का असर कम था, लेकिन अब आपदाओं की तीव्रता बढ़ चुकी है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने पिछली आपदा के बाद नदी-नालों से 50 मीटर की दूरी पर निर्माण की बाध्यता का कानून बनाया है और अब सभी पक्षों से चर्चा कर नया कानून बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्र सरकार से हिमाचल के लिए विशेष राहत पैकेज की भी मांग की। उन्होंने कहा कि अब तक प्रदेश को आई आपदाओं के लिए केंद्र से कोई विशेष राहत पैकेज नहीं मिला है जबकि राज्य को इसकी बेहद आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मुलाकात कर इस मुद्दे को मजबूती से उठाएंगे, ताकि प्रदेश के आपदा प्रभावित लोगों को न्याय और शीघ्र पुनर्वास मिल सके।
मुख्यमंत्री ने आपदा के दौरान राज्य सरकार की कार्रवाई का भी विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जैसे ही आपदा की सूचना मिली, वे स्वयं मंडी जिला के धर्मपुर क्षेत्र में प्रभावित लोगों से मिलने पहुंचे और पहले ही दिन थुनाग क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई गई। अगले दिन उपमुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर बंद पड़ी पेयजल योजनाओं को चालू कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी प्रभावित इलाकों का निरीक्षण कर सड़कों को खोलने के लिए 100 से अधिक जेसीबी मशीनें तैनात कीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कें खुलने के बाद पूरा नेतृत्व प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचा और स्थानीय लोगों के सहयोग से राहत कार्यों को गति दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडी जिले के सराज, धर्मपुर और करसोग क्षेत्रों में मलबा हटाने और सड़कें खोलने के काम को तेज करने के लिए पांच लाख रुपये के ऑफलाइन टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि सड़कों की पूरी तरह मरम्मत में अभी समय और पर्याप्त धन की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि आपदा में जान गंवाने वालों के परिजनों और प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहारा देने के लिए राज्य सरकार ने विशेष राहत पैकेज तैयार किया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। इस पैकेज के तहत टूटे मकानों के पुनर्निर्माण, घरेलू सामान की हानि और पशुधन के नुकसान पर मुआवजा दिया जाएगा, ताकि कोई भी परिवार बेसहारा न रह जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा