शिक्षा विभाग में आउट सोर्सिंग से नियुक्तियों की सूची जारी
नैनीताल, 11 जुलाई (हि.स.)। अप्रैल 2025 में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 का हवाला देते हुए जारी किए गए स्पष्ट शासनादेश में राज्य के सभी विभागों में स्वीकृत पदों पर केवल स्थाई नियुक्तियां ही करने के निर्देश दिए थे। आदेश में
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रांतीय तदर्थ समिति के पदाधिकारी मनोज तिवारी।


नैनीताल, 11 जुलाई (हि.स.)। अप्रैल 2025 में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 का हवाला देते हुए जारी किए गए स्पष्ट शासनादेश में राज्य के सभी विभागों में स्वीकृत पदों पर केवल स्थाई नियुक्तियां ही करने के निर्देश दिए थे।

आदेश में यह भी उल्लेख किया गया था कि भविष्य में किसी भी प्रकार की संविदा, अस्थायी या आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्ति नहीं की जाएगी लेकिन इस आदेश को नजरअंदाज करते हुए शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत ब्लॉक संसाधन व्यक्ति (बीआरपी) व संकुल संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) के रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर चयन के लिए विभागीय स्तर पर मेरिट यानी योग्यता सूची भी जारी कर दी गई है और चुनाव आचार संहिता के समाप्त होते ही नियुक्ति पत्र जारी करने की तैयारी बतायी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि इन पदों पर पूर्व में विभागीय पदेन अधिकारियों व शिक्षकों की तैनाती की जाती रही है। प्रदेश के राज्यपाल की स्वीकृति से इन पदों के विधिवत सृजन का शासनादेश भी पूर्व में जारी किया गया था। इसके बावजूद आउटसोर्सिंग एजेंसी से नियुक्तियों की तैयारी न केवल शासनादेश की अवहेलना लगती है, बल्कि भविष्य में नियुक्त कार्मिकों के स्थायीकरण की मांग को जन्म देने वाली भी हो सकती है।ऐसे में शिक्षा विभाग द्वारा एक बार फिर अस्थायी व्यवस्था को लागू करना कई प्रश्न खड़े करता है।

उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रांतीय तदर्थ समिति के पदाधिकारी मनोज तिवारी ने इस स्थिति पर कहा कि बीते सात वर्षों से कार्यरत कार्मिकों की कार्यप्रणाली में जवाबदेही के अभाव ने शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। अब यदि पूरी विभागीय प्रक्रिया के बाद भी आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्तियां की जाती हैं तो चयनित अभ्यर्थी स्वाभाविक रूप से भविष्य में अपने स्थाईकरण की मांग करेंगे, क्योंकि इनकी योग्यता सूची विभागीय स्तर पर जारी की गई है जबकि यह कार्य आउटसोर्सिंग एजेंसी का होना चाहिए था। उन्होंने राज्यहित में इस व्यवस्था को तत्काल ठीक किए जाने की मांग की है।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी