पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की रांची में संपन्न 27वीं बैठक में गाद प्रबंधन सहित पानी के बंटवारे को लेकर हुआ विमर्श : विजय चौधरी
पटना, 11 जुलाई (हि.स.)। सिंचाई भवन सभागार में शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित पत्रकार वार्ता में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की रांची में संपन्न 27वीं बैठक में बिहार-झारखण्ड-पश्चिम बंगाल के विभिन्न मुद्दों के संबंध
जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी पत्रकार वार्ता के दौरान


पटना, 11 जुलाई (हि.स.)। सिंचाई भवन सभागार में शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित पत्रकार वार्ता में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की रांची में संपन्न 27वीं बैठक में बिहार-झारखण्ड-पश्चिम बंगाल के विभिन्न मुद्दों के संबंध में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय को लेकर जानकारी दी गई। मौके पर

मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि बैठक में विमर्श के दौरान निष्कर्ष आया कि गाद को हटाये बिना बाढ़ की समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है। इसके लिए व्यापक गाद प्रबंधन नीति का बनना आवश्यक है।

मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि गंगा नदी में कोशी, कमला, बागमती, गंडक आदि नदियों से आने वाली गाद के कारण राज्य को प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभिषिका को झेलना पड़ता है। गाद के कारण नदियों के जल वहन क्षमता में कमी आती जा रही है। फलस्वरूप कम जलश्राव में ही नदियों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। नदी का तल ऊंचा हो जाने के कारण नदियों के उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) का नया रिकार्ड बनता जा रहा है। व्यापक गाद प्रबंधन नीति बनने से बाढ़ की समस्या में सुधार हो सकेगा।

विजय चौधरी ने कहा कि महानंदा नदी पर तैयबपुर के पास बराज निर्माण से किशनगंज जिला के ठाकुरगंज, पोठिया एवं किशनगंज प्रखण्ड लाभान्वित होंगे। चौधरी ने कहा कि बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच 1978 में हुए समझौते के अनुसार महानंदा बेसिन में पश्चिम बंगाल द्वारा फुलबारी में बनाये जाने वाले महानंदा बराज से बिहार को 67000 एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। उक्त प्रावधान के तहत बिहार द्वारा वर्ष 1983 में अपर महानंदा सिंचाई योजना तैयार किया गया परन्तु प बंगाल द्वारा सकारात्मक रूख नहीं रखने के कारण इस योजना का कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है।

मंत्री चौधरी ने कहा कि इस स्थिति में बिहार द्वारा महानंदा नदी पर तैयबपुर में एक बराज बनाने का डीपीआर तैयार किया जा रहा है। इस संबंध में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल से सहमति प्राप्त करने का निदेश दिया गया।

मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सोन नदी जल बंटवारा वर्ष 1973 में बिहार, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बीच हुए बाणसागर समझौते के अनुसार अविभाजित बिहार को 7.75 मिलीयन एकड़ फीट आवंटित था। वर्ष 2000 में राज्य के बंटवारे के बाद झारखण्ड द्वारा दोनों राज्यों के बीच जल का बंटवारा किए जाने की मांग उठाई जाती रही एवं इस मुद्दे को उठाकर बिहार की इन्द्रपुरी जलाशय परियोजना पर सहमति नहीं दी जा रही थी। बैठक में विमर्शोपरान्त दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी कि अविभाजित बिहार के हिस्से के 7.75 मिलीयन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी में से 5.75 एमएएफ पानी बिहार को एवं 2.00 एमएएफ पानी झारखण्ड को मिलेगा जो बिहार के हित के दृष्टिकोण से उचित है। इस निर्णय से वर्षों से लंबित इन्द्रपुरी जलाशय परियोजना के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद, पटना, गया, एवं अरवल जिले में सिंचाई सुविधा को स्थायित्व प्रदान किया जा सकेगा।

उल्लेखनीय है कि यह बैठक गुरुवार को रांची में गृह मंत्री, अमित शाह की अध्यक्षता में हुई थी। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की 27वीं बैठक में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं जल संसाधन विभाग विजय कुमार चौधरी द्वारा बिहार का पक्ष मजबूती से रखा गया, जिससे बिहार का झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल के बीच वर्षों से लंबित मामलों को सुलझाया गया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी