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नई दिल्ली, 10 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश की शमीम बानो की पुश्तैनी जमीन पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है। दर-दर भटकने के बाद शमीम ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार से गुहार लगाई। इस पर उन्होंने महिला को मंच की ओर से इस मामले की पूरी जांच कराने, हर जरूरी कानूनी, सामाजिक और प्रशासनिक सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है।
शमीम बानो ने गुरूवार को दिल्ली में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनी अली से संपर्क किया। इसके बाद उन्हें मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक और मार्गदर्शक वरिष्ठ संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार से मिलवाया गया। सारी बात समझने के बाद इंद्रेश कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शमीम बानो अकेली नहीं हैं। जिस समाज ने वक्फ को मजलूमों और बेसहारा मुसलमानों के उत्थान के लिए बनाया था, उसी को हथियार बनाकर महिलाओं की संपत्ति छीनना किसी भी हाल में स्वीकार नहीं होगा। वक्फ का मक़सद समाज सेवा है, कब्ज़ा नहीं।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह केवल उज्जैन की एक महिला की लड़ाई नहीं, यह हर उस मजलूम की लड़ाई है, जो धर्म की आड़ में प्रताड़ना सह रहा है। हम सबको मिलकर नए वक्फ संशोधन कानून को सही मायने में लागू कराने के लिए काम करना होगा। देशभर के गरीब और बेसहारा मुसलमान इस कानून की पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना से जुड़ी उम्मीदों के साथ देख रहे हैं। उन्हें इसका बेसब्री से इंतजार है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि धर्म या वक्फ संस्था की आड़ में महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। मंच हर महिला के साथ खड़ा है, जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
शमीम बानो की लड़ाई उस ज़मीन की है, जिसकी रजिस्ट्री वर्ष 1935 में उनके दादा मोहम्मद हाफिज़ के नाम दर्ज हुई थी। उज्जैन की गली नंबर 3, खैरदियामान, तोपखाना स्थित 4000 स्क्वायर फीट ज़मीन की मालिकाना हकदारी वर्षों से उनके परिवार के पास रही है। उनके पास हर कानूनी दस्तावेज़ प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन, म्युटेशन और टैक्स रसीद मौजूद है। इसके बावजूद इस ज़मीन के 1800 स्क्वायर फीट हिस्से पर एक काल्पनिक ‘मस्जिद खैर’ के नाम पर अवैध कब्ज़ा किया जा रहा है। जबकि न वहां कोई मस्जिद थी, न इबादत, न वक्फ दस्तावेज। केवल मौलाना और दबंगों की धमकियों और कागज़ी धोखाधड़ी के सहारे यह विवाद खड़ा किया गया है।
महिला का कहना है कि फर्ज़ी डोनेशन डीड में फर्जी हस्ताक्षर कर ज़मीन पर दावा किया गया है। यह पूरी तरह दस्तावेज जालसाज़ी का मामला है। उसे चुप कराने के लिए “मस्जिद के खिलाफ बोलना हराम है” जैसे जुमले इस्तेमाल किए जा रहे हैं। साथ ही उसको तरह-तरह की धमकियां दी जा रही हैं। यहां तक कि शमीम बानो को अब अपनी जान का भी खतरा नजर आने लगा है। इस पूरे मामले में वक्फ बोर्ड की भूमिका सबसे ज्यादा चिंताजनक रही है। वक्फ बोर्ड ने इस मामले पर चुप्पी साधी हुई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी