हाईकोर्ट ने वकील को ’धमकाने’ के लिए ग्राम प्रधान पर 25 हजार का जुर्माना लगाया
--कहा, बार के सदस्य सैनिकों की तरह काम करते हैं प्रयागराज, 10 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम प्रधान पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। जिसने याचिकाकर्ता वकील को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत उसके खिल
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


--कहा, बार के सदस्य सैनिकों की तरह काम करते हैं

प्रयागराज, 10 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम प्रधान पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। जिसने याचिकाकर्ता वकील को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज करने की धमकी दी थी।

हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि वकील बहुत तनावपूर्ण न्यायिक प्रणाली के तहत सैनिकों की तरह काम कर रहे हैं, वकील से अपमानजनक तरीके से बात करने के लिए जुर्माना लगाया है।

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कहा कि “कानूनी पेशे के बारे में अपमानजनक शब्दों में बात करने से सिर्फ़ पेशा ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि पूरी न्यायपालिका प्रभावित होती है। जिसका बार एक अभिन्न अंग है। न्यायालयों द्वारा सैकड़ों नहीं, बल्कि हज़ारों टिप्पणियां की गई हैं, जो कानूनी पेशे के सदस्यों को मुक़दमों, अदालत और उनके प्रतिवादियों के प्रति उनके कर्तव्यों की याद दिलाती हैं। उन्हें वस्तुतः चेतावनी देती हैं। लेकिन इस बारे में बहुत कम सोचा गया है कि न्यायपालिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग, यानी बार, मुक़दमों को न्याय दिलाने के लिए किन दबावों के तहत काम करता है।“

याची (बानो बीबी) ने भूमि पर अतिक्रमण के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। न्यायालय ने एसडीएम फूलपुर, जिला प्रयागराज और तहसीलदार, फूलपुर, जिला प्रयागराज को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। उपरोक्त व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करने के बाद, याचिकाकर्ता के वकील द्वारा हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि उसके दामाद, जो एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट भी हैं, उनको ग्राम बहादुरपुर कछार हेतापट्टी, तहसील फूलपुर के ग्राम प्रधान द्वारा जान से मारने की धमकी दी जा रही है।

कहा गया कि ग्राम प्रधान उन्हें मामला वापस लेने की धमकी दे रहे थे, अन्यथा उन्हें एससी-एसटी अधिनियम के तहत झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा। इसके बाद, न्यायालय ने ग्राम प्रधान को मामले में पक्षकार बनाया और निर्देश दिया कि कॉल रिकॉर्डिंग इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपी जाए। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि कॉल रिकॉर्डिंग की प्रतिलिपि रजिस्ट्रार जनरल द्वारा तैयार की जाए और उसे उस मोबाइल फ़ोन के साथ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए जिससे रिकॉर्डिंग की गई थी।

ग्राम प्रधान को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर न्यायालय के समक्ष स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने को कहा गया। उनके स्पष्टीकरण से असंतुष्ट होकर, न्यायालय ने उन्हें एक बेहतर हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा। परिणामस्वरूप, पिछली तारीख़ पर, न्यायालय ने कहा कि कोर्ट आपराधिक अवमानना शुरू करने से बच रही है। लेकिन उस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। 10,000 रुपये उस वकील को दिए जाने थे, जिसे ग्राम प्रधान ने धमकाया था, जबकि शेष 15,000 रुपये राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के खाते में जमा किए जाने थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे