भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में हर्षोल्लास से मनाया गया गुरु पूर्णिण का महापर्व
भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में हर्षोल्लास से मनाया गया गुरु पूर्णिण का महापर्व
भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में हर्षोल्लास से मनाया गया गुरु पूर्णिण का महापर्व


भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में हर्षोल्लास से मनाया गया गुरु पूर्णिण का महापर्व


भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में हर्षोल्लास से मनाया गया गुरु पूर्णिण का महापर्व


- पर्यावरण संरक्षण के लिए हर शिष्य करें पौध रोपण - जगदगुरू स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज

चित्रकूट,10 जुलाई (हि.स.)। अनादि काल से ऋषि मुनियों की साधना स्थली रही भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर देश भर से लाखों शिष्यों का जमावड़ा लगा हुआ है। सुबह से ही शिष्य देव गंगा मंदाकिनी में आस्था में डुबकी लगाने के बाद गुरुजनों के आश्रमों में पहुंच उनका पूरे विधि विधान के साथ पूजन कर आशीर्वाद ले रहे हैं। चित्रकूट के तुलसीपीठ में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज,कामदगिरि प्रमुख द्वार मंदिर में जगद्गुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य जी महाराज,महंत मदन गोपाल दास जी महाराज और रामघाट स्थित दिगम्बर अखाड़ा के महंत दिव्य जीवन दास महाराज जी के दर्शन और गुरु दीक्षा के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रही।

इस दौरान कामदगिरि पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य जी महाराज ने शिष्यों को गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा कि मानव जीवन में भगवान से कही अधिक महत्त्व गुरु का है। गुरु के बताए रस्ते पर चल कर ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है।कामदगिरि पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य ने शिष्यों से पर्यावरण संरक्षण के लिए एक एक पेड़ लगाने का संकल्प दिलाया।

वहीं दिगम्बर अखाड़ा के महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने कहा कि गुरु की महिमा अनंत है। गुरु की कृपा से ही भगवान श्रीराम और प्रभु श्री कृष्ण ने रावण और कंस जैसे दुष्टों का अंत किया था। चित्रकूट आदि काल से ऋषि मुनियों की साधना स्थली रही है। गुरुपूर्णिमा कर लाखो श्रद्धालु चित्रकूट पहुंच कर अपने गुरुजनों का आशीर्वाद लेकर जीवन को धन्य करते हैं।

इसके अलावा कामतानाथ मंदिर के महंत मदन गोपाल दास महाराज ने शिष्यों को गुरुपूर्णिमा पर सुख ,शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हुए कहा कि शास्त्रों में गुरु को भगवान के समान माना गया है। गुरु के बताए सदमार्ग पर चल कर ही ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है। गुरुपूर्णिमा शिष्यों के समर्पण का महापर्व है। गुरुजनों के दर्शन पूजन के बाद शिष्यों ने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान श्री कामदगिरि की पंचकोसी परिक्रमा की लगाई।

हिन्दुस्थान समाचार / रतन पटेल