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नई दिल्ली, 10 जुलाई (हि.स.)। जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त संस्था ‘राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) ने यूनिसेफ इंडिया के सहयोग से ‘तलाश’ (ट्राइबल एटीट्यूड, लाइफ स्किल्स एंड सेल्फ एस्टीम हब) नामक एक राष्ट्रीय स्तर की पहल शुरू की है। इसका उद्देश्य एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के छात्रों को शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास में सशक्त बनाना है। कार्यक्रम से देशभर के 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित 1.38 लाख से अधिक छात्रों को लाभ पहुंचाएगा।
जनजातीय मंत्रालय के अनुसार आदिवासी छात्रों के लिए बनाई गई यह देश की पहली ऐसी डिजिटल पहल है। ‘तलाश’ छात्रों में आत्मबोध बढ़ाने, जीवन कौशल विकसित करने और करियर मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एनसीईआरटी की ‘तमन्ना’ पहल से प्रेरित यह कार्यक्रम छात्रों की रुचियों और क्षमताओं के आधार पर उन्हें करियर कार्ड प्रदान करता है, जिससे वे अपने लिए उपयुक्त करियर विकल्प चुन सकें। इसमें शिक्षकों के लिए भी विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल शामिल हैं, ताकि वे छात्रों को प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन दे सकें। अब तक 75 ईएमआरएस के 189 शिक्षक प्रशिक्षित हो चुके हैं और अपने-अपने विद्यालयों में कार्यक्रम का संचालन कर रहे हैं।
एनईएसटीएस के आयुक्त अजीत कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “तलाश हमारे इस संकल्प का प्रमाण है कि हम आदिवासी छात्रों को उनकी पूर्ण क्षमता तक पहुँचने के अवसर देना चाहते हैं।” यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप समावेशी, समान और समग्र शिक्षा को बढ़ावा देती है।
तलाश को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है ताकि इसकी पहुंच प्रभावी और सुगम हो। वर्ष 2025 के अंत तक यह सभी ईएमआरएस में सक्रिय होगा, जिससे देशभर के आदिवासी छात्रों को आत्मविश्वास, क्षमताओं और जीवन कौशल के साथ सशक्त बनाया जा सकेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा