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नई दिल्ली, 10 जुलाई (हि.स.)। यमन में मौत की सजा पा चुकी केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। जस्टिस सुधांशु धुलिया की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने इस याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी के जरिये इस मामले पर उठाये गये कदमों की जानकारी दे।
आज इस मामले को कोर्ट के सामने मेंशन करते हुए वरिष्ठ वकील आर बसंत और सुभाषचंद्रन केआर ने कहा कि यमन के शरीयत कानून के तहत ब्लड मनी देने पर फांसी रुक सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राजनयिक स्तर से प्रयास कर इस फांसी को रुकवाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि निमिषा प्रिया को फांसी क्यों दी जा रही है। तब बसंत ने कहा कि निमिषा प्रिया पर 2017 में यमन के नागरिक तलल आब्दो माहदी की हत्या का आरोप है। यमन पुलिस के मुताबिक उसने माहदी को नशीला पदार्थ पिलाया, जिसके ओवरडोज से उसकी मौत हो गई थी।
बसंत ने कहा कि निमिषा प्रिया को मौत की सजा 16 जुलाई को दी जानी है। ऐसे में दो दिनों में राजनयिक समझौता होना मुश्किल है। उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वो अटार्नी जनरल को याचिका की प्रति उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो 14 जुलाई को कोर्ट को ये बताएं कि इस मामले में क्या-क्या कदम उठाए गए।
दरअसल, केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया यमन में नर्स की नौकरी कर रही थी। यमन के कानून के मुताबिक केवल उसके नागरिकों को ही क्लीनिक और व्यावसायिक फर्म स्थापित करने की अनुमति है। इसलिए उसने 2014 में यमन की राजधाना सना में अपना क्लिनिक स्थापित करने के लिए यमन के नागरिक तलल आब्दो माहदी से कागज़ पर शादी कर ली। इसके बाद माहदी ने उसे प्रताड़ित करना शुरु कर दिया। जिसके बाद दोनों के संबंध बिगड़ गए। महादी ने निमिषा का पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिया। आरोप है कि निमिषा महादी के चंगुल से बचने के लिए एक यमनी नर्स के साथ योजना बनाकर महादी को नशीला इंजेक्शन दिया, जिसके ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। यमन की अदालत ने 7 मार्च, 2022 को निमिषा प्रिया की अपील खारिज कर दी थी।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम