ढैचा की बुआई से हरी खाद तैयार कर रहे किसान
ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ता राजगढ़ का रुझान, कृषि अधिकारियों ने किया खेतों का निरीक्षण मीरजापुर, 10 जुलाई (हि.स.)। खेती में लागत कम करने और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए राजगढ़ विकासखंड के किसान अब रासायनिक खाद की जगह ढैचा की बुआई कर हरी खाद तैय
खेतों का निरीक्षण करते कृषि अधिकारी।


ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ता राजगढ़ का रुझान, कृषि अधिकारियों ने किया खेतों का निरीक्षण

मीरजापुर, 10 जुलाई (हि.स.)। खेती में लागत कम करने और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए राजगढ़ विकासखंड के किसान अब रासायनिक खाद की जगह ढैचा की बुआई कर हरी खाद तैयार कर रहे हैं। यह प्रयास न केवल ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में भी सहायक बन रहा है।

ब्लॉक कृषि अधिकारी संतोष कुशवाहा ने गुरुवार को विकासखंड के सेमरा बरहो गांव में प्रगतिशील किसान आशीष सिंह के खेतों का निरीक्षण किया। आशीष सिंह ने अपने खेत में ढैचा की बुआई की है, जो सड़ने के बाद हरी खाद के रूप में प्रयोग की जाएगी।

अधिकारी ने किसानों को बताया कि हरी खाद तैयार करने के लिए मई-जून में ढैचा की बुआई करना उचित होता है। जब पौधे पर्याप्त विकसित हो जाएं, तो उन्हें खेत में पलटकर पानी भर दिया जाता है। पौधे सड़कर खेत की मिट्टी में मिल जाते हैं और पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिससे धान सहित अन्य खरीफ फसलों की उपज बेहतर होती है।

कृषि अधिकारी ने कहा कि हरी खाद मिट्टी की सेहत के लिए अमृत समान है। इससे रासायनिक खाद की खपत घटती है और किसान की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है।

निरीक्षण के दौरान तकनीकी सहायक विकास पाल भी मौजूद रहे। उन्होंने किसानों को ढैचा की सही बुआई तकनीक, समय और रख-रखाव की जानकारी दी।

कृषि विभाग अब राजगढ़ क्षेत्र में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गांव-गांव जाकर किसानों को प्रेरित कर रहा है। किसानों को बताया जा रहा है कि किस प्रकार वे परंपरागत और प्राकृतिक तरीकों से बेहतर पैदावार ले सकते हैं।

हरी खाद के लाभ

- मिट्टी की उर्वरकता में वृद्धि

- रासायनिक खाद पर निर्भरता में कमी

- पर्यावरण को नुकसान नहीं

- कम लागत में अधिक उपज

- दीर्घकालीन भूमि स्वास्थ्य

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हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा