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राजौरी, 10 जुलाई (हि.स.)। एक ऐतिहासिक मानवीय पहल के तहत भारतीय सेना ने भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बीएमवीएसएस), जयपुर के सहयोग से राजौरी के थन्नामंडी में एक विशाल चिकित्सा एवं सहायक उपकरण वितरण शिविर का आयोजन किया। यह आयोजन ऑपरेशन सद्भावना के तहत समावेशी पहुँच और कमजोर समुदायों के उत्थान के प्रति भारतीय सेना की सतत प्रतिबद्धता का प्रतीक था।
इस एक दिवसीय शिविर ने दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों के बड़ी संख्या में दिव्यांगजनों और आर्थिक रूप से वंचित निवासियों को नई स्वतंत्रता और राहत प्रदान की। व्हीलचेयर, कोहनी बैसाखी, ब्लाइंड स्टिक, श्रवण यंत्र और आर्थाेपेडिक सहायक उपकरणों सहित विभिन्न प्रकार के सहायक उपकरण वितरित किए गए। इस शिविर की खासियत इसका रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण था। प्रत्येक लाभार्थी का व्यक्तिगत चिकित्सा और आर्थाेपेडिक मूल्यांकन किया गया जो सेना की चिकित्सा टीमों, सिविल डॉक्टरों और बीएमवीएसएस तकनीशियनों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि प्रत्येक सहायक उपकरण प्राप्तकर्ताओं की विशिष्ट गतिशीलता और स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुकूलित किया गया था।
एक युवा लड़के ने आशा से भरी आँखों से कहा कि इस व्हीलचेयर ने मेरी ज़िंदगी बदल दी है। मुझे ऐसा लगता है कि मुझे देखा, सुना और मेरी देखभाल की जा रही है। एक स्थानीय किसान ने अपने दृष्टिबाधित बेटे के लिए सहायता प्राप्त करने के बाद कहा कि हम दूर-दराज से आए लेकिन इस कैंप ने हमें अपनेपन का एहसास दिया। हम दूर से आए थे लेकिन इस कैंप ने हमें घर जैसा महसूस कराया। गतिशीलता सहायक उपकरणों के वितरण के अलावा शिविर में निःशुल्क स्वास्थ्य परामर्श, आवश्यक दवाइयाँ और स्वच्छता, पोषण तथा आयुष-आधारित स्वास्थ्य सेवा सहित पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं पर जागरूकता सत्र भी आयोजित किए गए।
समग्र दृष्टिकोण का उद्देश्य केवल लक्षणों का इलाज करना ही नहीं बल्कि समग्र स्वास्थ्य में सुधार करना था। कई प्रतिभागी लंबी पैदल यात्रा करके या अपने परिवार के सदस्यों द्वारा कठिन इलाकों से होते हुए आए थे। यह भारतीय सेना में समुदाय के विश्वास और प्रदान की गई सेवाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव का एक सशक्त प्रमाण है। यह पहल सेना द्वारा नागरिकों के साथ सद्भावना और सहयोग को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयासों को दर्शाती है खासकर संवेदनशील और वंचित क्षेत्रों में। इसने जमीनी स्तर पर सार्थक बदलाव लाने में नागरिक-सैन्य साझेदारी की शक्ति को उजागर किया। यह आयोजन न केवल सहायता वितरण के रूप में बल्कि गरिमा, लचीलेपन और साझा मानवता के उत्सव के रूप में भी उभरा जो सेवा, समर्पण और सद्भावना की भावना को पूरी तरह से दर्शाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / अमरीक सिंह