आठवीं पास बिमला साहू कर रही सवा लाख रुपये सालाना कमाई, महिलाओं की बनी प्रेरणास्रोत
लखपति दीदी बिमला साहू अपने घर में मशरूम उत्पादन करते हुए।


धमतरी, 8 जून (हि.स.)। मशरूम उत्पादन कर सालाना सवा लाख रुपये की कमाई करने वाली बिमला साहू गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई। खुद आत्मनिर्भर होकर दूसरों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने हुनर बता रही है। उनके द्वारा उत्पादित मशरूम की मांग गांव समेत आसपास अन्य क्षेत्रों में है, इससे अच्छी कमाई हो रही है। पहले मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया और उत्पादन शुरू किया। आज महिलाएं इनसे प्रशिक्षण और प्रेरणा लेकर मशरूम उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रही है।

जिले के धमतरी विकासखंड के ग्राम पंचायत देवपुर की 49 वर्षीय बिमला साहू नव ज्योति कृषक अभिरुचि महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी हुई है। डोंगेश्वर धाम महिला ग्राम संगठन के माध्यम से मशरूम उत्पादन एवं अन्य उत्पाद से आजीविका गतिविधियों को विस्तार दे रही हैं। बिमला साहू अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए पहले परिवार पर आश्रित होते थे, लेकिन आज आत्मनिर्भर बन कर अन्य महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही है। वर्ष 2023 में बिमला साहू छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत लखपति दीदी योजना अंतर्गत परियोजना से जुड़ी। मशरूम उत्पादन के लिए विकासखंड एवं जिला टीम के माध्यम से समन्वय स्थापित कर तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया। मशरूम उत्पादन को अपनी कामयाबी का जरिया बनाया। प्रथम प्रयास में ही दो सौ बैग ओस्टर मशरूम तैयार किया। देखते ही देखते ओस्टर मशरूम उत्पादन से आमदनी के स्त्रोत बनते गए। इस तरह मात्र तीन माह में ओस्टर मशरूम 150 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक्री करने पर 24 हजार रुपये की आमदनी हुई।

आय में वृद्धि होते देख इन्होंने ओस्टर मशरूम के लिए 600 नग बैग तैयार किया इससे 50 हजार रुपये की तिमाही आमदनी हो रही है। क्योंकि मशरूम में पूर्ण रूप से वेगन प्रोटीन होती है। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। मशरूम से आचार, पापड़, मूरकू, बड़ी और पाउडर बनाकर कर अतिरिक्त आय अर्जित करती है। गांव के अलावा आसपास के लोग मशरूम खरीदने घर तक आते है। इन्होंने घरेलू महिलाओं से कहा कि खुद का कुछ काम करें। आय दुगुना होगा। आत्मनिर्भर बनें ताकि दूसरे के सामने हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े। छोटा खर्च कर मशरूम का उत्पादन करें।

बिमला साहू ने बताया कि आठवीं तक पढ़ाई की है। बच्चों ने कहा कि मां कृषि कार्य के साथ मशरूम उत्पादन करो। इससे अतिरिक्त आय मिलेगा। अपने बच्चों से प्रेरित होकर आज एक गृहणी से लखपति दीदी बनने का सफर तय किया है। वर्ष 2014 - 15 में कृषि विज्ञान केंद्र संबलपुर में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद घर में मशरूम उत्पादन शुरू किया। दो साल तक बटन मशरूम का उत्पादन किया। अपने आसपास के गांव की महिलाओं को भी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित कर रही है। इस अतिरिक्त आय से अपने स्वजनों की आवश्यकताओं को पूरा कर रही है। सालाना एक लाख 26 हजार रूपये की कर रही है। इस काम को करने में पूरे परिवार का सहयोग मिल रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा