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कोलकाता, 7 जून (हि.स.) ।पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले में सीबीआई को एक बड़ा सुराग हाथ लगा है। जांच एजेंसी को हाल ही में ऐसे ऑडियो और वीडियो सबूत मिले हैं, जो इस करोड़ों रुपये के घोटाले की गहराई और साजिश में शामिल लोगों की भूमिका को और स्पष्ट कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, नए साक्ष्य में कई महत्वपूर्ण बातचीत शामिल हैं, जिनसे यह संकेत मिलता है कि किस तरह से यह भर्ती घोटाला योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया और इसकी निगरानी तत्कालीन राज्य शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी स्वयं कर रहे थे।
ऑडियो-वीडियो सामग्री में भर्ती प्रक्रिया की विभिन्न चरणों की योजना और क्रियान्वयन की जानकारी भी सामने आई है। इसमें डब्ल्यूबीएसएससी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ एनवाईएसए नामक निजी एजेंसी के प्रतिनिधियों की भूमिका भी उजागर हुई है। यह एजेंसी ओएमआर शीट के संरक्षण और प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रही थी।
नए सबूतों के आधार पर सीबीआई ने कोलकाता की एक विशेष अदालत में अर्जी दायर कर पांच आरोपितों की आवाज के नमूने लेने की अनुमति मांगी है। इन सैंपलों की तुलना ऑडियो रिकॉर्डिंग में मौजूद आवाजों से की जाएगी। अदालत इस मामले में 12 जून को सुनवाई करेगी।
इन पांच लोगों में तीन पूर्व में डब्ल्यूबीएसएससी से जुड़े थे, जबकि दो अन्य एनवाईएसए से संबंधित थे। जांचकर्ताओं का मानना है कि ये नए सबूत पार्थ चटर्जी के खिलाफ पहले से मजबूत केस को और मजबूती देंगे और यह भी स्पष्ट करेंगे कि कैसे कमीशन और निजी एजेंसी के बीच मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया।
इससे पहले, 30 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के केस में पार्थ चटर्जी और तृणमूल विधायक एवं प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी थी।
जहां माणिक भट्टाचार्य इस समय जमानत पर हैं, वहीं पार्थ चटर्जी अब भी जेल में बंद हैं। सीबीआई और ईडी की जांच में यह सामने आया है कि पार्थ चटर्जी इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार थे। जांच एजेंसियां इस व्यापक साजिश की परतें खोलने में जुटी हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर