हमारे युवा विकसित भारत के सारथी : उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नौनी विवि में कार्यक्रम के दौरान


शिमला, 7 जून (हि.स.)। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में विकसित भारत युवा कृषि वैज्ञानिक दृष्टिकोण व संकल्प विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में विद्यार्थियों से प्रेरणादायक संवाद किया। उपराष्ट्रपति ने युवाओं को संबोधित करते हुए उन्हें विकसित भारत की दिशा में सबसे मजबूत ‘सारथी’ बताया और कहा कि उनके जोश, ज्ञान और समर्पण से ही देश आत्मनिर्भर और उन्नत बनेगा।

संवाद की शुरुआत करते हुए उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को सहज और आत्मीय वातावरण में संबोधित किया। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी भी इस कार्यक्रम में आना चाहती थीं, लेकिन कुछ कारणों से नहीं आ सकीं। इस दौरान उन्होंने माँ शालिनी माता का आशीर्वाद लेकर कार्यक्रम में सम्मिलित होने की बात भी साझा की। अपने जीवन के अनुभवों से प्रेरणा देते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे हमेशा सकारात्मक सोच रखें और समाज व राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश केवल प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक नहीं है, यह वीरों की भूमि भी है। यहां की शुद्धता, संस्कृति और जनभावनाएं देश के लिए प्रेरणादायक हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का उल्लेख करते हुए इसे राष्ट्र की सामूहिक चेतना और संकल्प का प्रतीक बताया।

उन्होंने युवाओं को आह्वान किया कि वे भारतीयता को अपनी पहचान और राष्ट्रीयता को अपने धर्म की तरह अपनाएं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और इसमें युवाओं की भूमिका बेहद अहम है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज के दौर में केवल सरकारी नौकरी ही एकमात्र विकल्प नहीं है। उन्होंने युवाओं को उद्यमिता, नवाचार और तकनीकी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाने की सलाह दी। “कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और एग्रीकल्चरल इंटेलिजेंस (एजीआई) ही वह मार्ग है, जिससे ग्रामीण भारत को समृद्ध किया जा सकता है।”

उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों से जोड़ें और कृषि में स्थायित्व तथा नवाचार को बढ़ावा दें। साथ ही केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने में सहायक बनें।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश में उत्पादित फल, सब्जियों और अन्य जैविक उत्पादों के स्थानीय उपयोग को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब खाना अच्छा हो, तो उसे बाहर भेजने की बजाय अपने उपयोग में लाना भी जरूरी है।

अपने हास्य-विनोद भरे अंदाज़ में उन्होंने छात्रों को संदेश दिया कि समाज में पुरुष और महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर चलें। उन्होंने विद्यार्थियों से शौक के कामों को भी गंभीरता से लेने और समाज में ठोस बदलाव लाने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने विद्यार्थियों को दिल्ली आने का भी आमंत्रण दिया।

इससे पहले उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और छात्र-छात्राओं के नवाचारों की सराहना की।

छात्रों ने कार्यक्रम के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति का मार्गदर्शन प्रेरणादायक रहा। उन्होंने कहा कि एआई और सस्टेनेबल कृषि जैसे मुद्दों पर मिल रही शीर्ष स्तर की सोच उन्हें अपने क्षेत्र में कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा