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मुंबई, 7 जून (हि.स.)। मुंबई विश्वविद्यालय (एमयू) ने छात्रों की रोज़गार क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से कौशल-एकीकृत स्नातक कार्यक्रम शुरु करने का फैसला किया है। इन उद्योग मॉड्यूल से छात्रों को रियल एस्टेट, बीमा और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करना है। उन क्षेत्रों में भी विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा जहां वर्तमान में समर्पित शैक्षणिक प्रशिक्षण की कमी है।
एमयू के अधिकारियों के अनुसार छात्रों की रोज़गार क्षमता को बढ़ाने के मकसद से बड़ा शैक्षणिक बदलाव किया जाएगा। यह कदम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों पर उठाया जाएगा, जो उद्योग-उन्मुख शिक्षा को बढ़ावा देगा। यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार इन डिग्री कार्यक्रमों में कुल क्रेडिट का 50 प्रतिशत मुख्य शैक्षणिक विषयों को आवंटित किया जाएगा, जबकि शेष 50 फीसदी अल्पकालिक, कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों के लिए समर्पित होगा।
यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार के अनुसार कई उभरते उद्योग हैं, जिनमें प्रशिक्षित जनशक्ति की मांग बढ़ रही है। लेकिन उच्च शिक्षा में कोई संबंधित पाठ्यक्रम नहीं है। यूजीसी ने इस तरह की कमियों की पहचान करने के लिए एक समिति बनाई है। उद्योग भागीदारों के सहयोग से, हमारा लक्ष्य छात्रों को क्रेडिट प्रदान करने के लिए हाइब्रिड-मोड शॉर्ट-टर्म पाठ्यक्रम बनाना है। विश्वविद्यालयों को भी स्थानीय उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले ऐसे पाठ्यक्रम बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। विश्वविद्यालयों को शिक्षाविदों और उद्योग के व्यावहारिक अनुभव को मिलाकर एक नया मॉडल पेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके तहत छात्र दो साल कैंपस में और दो साल उद्योग भागीदारों के साथ ट्रेनिंग में बिताएंगे। ऐसे छात्र नौकरी के बाजार में प्रवेश करने पर दूसरों पर बढ़त हासिल करेंगे। दो साल के अनुभव के साथ उन्हें पहले से ही उद्योग की समझ होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार