दिल्ली के चिड़ियाघर के निजीकरण को लेकर कांग्रेस ने उठाए सवाल, भूपेन्द्र यादव ने किया खारिज
भूपेन्द्र यादव


नई दिल्ली, 7 जून (हि.स.)। दिल्ली के चिड़ियाघर के निजीकरण को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार पर आरोप लगाए हैं जिसे केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने खारिज कर दिया है। भूपेन्द्र यादव ने शनिवार को एक्स पोस्ट पर कहा कि कुछ लोगों ने हर मौके पर लोगों के मन में संदेह पैदा करने की आदत बना ली है।

प्राणी उद्यान संरक्षण प्रयासों, वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और क्षमता निर्माण, संसाधन साझाकरण और पशु कल्याण आदि को बढ़ाने के लिए अन्य चिड़ियाघरों, विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक संस्थानों के साथ सहयोगात्मक समझौता किया गया है। प्रस्तावित समझौता ज्ञापन का उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण, बचाव, पुनर्वास, पशु स्वास्थ्य एवं कल्याण में सहयोग को बढ़ावा देना है।

इस काम में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण भी सहयोग करता है।

भूपेन्द्र यादव ने कहा कि राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (एनजेडपी) ने जनवरी 2021 में ग्रीन्स जूलॉजिकल एंड रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी), जामनगर (गुजरात) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ज्ञापन जानवरों के आदान-प्रदान, पशुपालकों की क्षमता निर्माण, जानवरों के वैज्ञानिक प्रबंधन पर तकनीकी आदान-प्रदान और संरक्षण प्रजनन और शिक्षा पर ज्ञान साझा करने पर केंद्रित है।

जीजेडआरआरसी

ने पशु स्वास्थ्य और कल्याण, विश्व स्तरीय चिड़ियाघर डिजाइनिंग, जंगली जानवरों के बचाव और पुनर्वास और आवास संवर्धन आदि में अत्याधुनिक सुविधाओं और सेवाओं का विकास किया है। जीजेडआरआरसी ने पशु स्वास्थ्य एवं कल्याण, विश्व स्तरीय चिड़ियाघर डिजाइनिंग, जंगली जानवरों के बचाव एवं पुनर्वास तथा आवास संवर्धन आदि में अत्याधुनिक सुविधाएं एवं सेवाएं विकसित की है।

उन्होंने कहा कि

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान 60 वर्ष पुराना संस्थान है, जिसने कई लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन एवं देखभाल में पर्याप्त विशेषज्ञता हासिल की है तथा अब इसका लक्ष्य कैद में पशु कल्याण की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर अपनी सुविधाओं एवं सेवाओं का आधुनिकीकरण करना है, साथ ही विश्व स्तरीय चिड़ियाघर के समान आगंतुकों के अनुभव को बढ़ाना है।

कैप्टिव वन्यजीव प्रबंधन के सामान्य उद्देश्यों के अनुरूप तथा वर्तमान प्रबंधन आवश्यकताओं के अनुसार सहयोग को और व्यापक बनाने के लिए, एनजेडपी ने जीजेडआरआरसी के साथ मौजूदा समझौता ज्ञापन को संशोधित करने की मांग की है।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में पशु चिकित्सा देखभाल एवं संबद्ध सेवाओं के लिए समर्थन, लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान तथा चिड़ियाघर नियोजन, बाड़े के डिजाइन, संवर्धन, आगंतुकों की सहभागिता एवं कर्मचारियों के प्रशिक्षण में तकनीकी सहायता शामिल है। इसमें ज्ञान-साझाकरण पहल, कर्मचारियों का आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण, संरक्षण शिक्षा और संभावित पशु आदान-प्रदान भी शामिल हैं।

एनजेडपी ने अतीत में वन्यजीव प्रबंधन, अनुसंधान आदि में काम करने वाले विभिन्न संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं और पशु कल्याण और बेहतर आगंतुक अनुभव पर केंद्रित अपने आधुनिकीकरण अभियान के हिस्से के रूप में अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ इसी तरह के सहयोग को आगे बढ़ाता रहता है।

हम ऐसा करना जारी रखेंगे।

उल्लेखनीय है कि जयराम रमेश ने सवाल उठाते हुए कहा था कि दिल्ली चिड़ियाघर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में है। यह बेहतर प्रबंधन पद्धतियों के लिए वनतारा और गुजरात सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहा है,

लेकिन जबकि सरकार का दावा है कि यह प्रबंधन हस्तांतरण नहीं है, इसका पिछला रिकॉर्ड भरोसा नहीं जगाता है। क्या यह चिड़ियाघर को निजी उद्यम को सौंपने की दिशा में पहला कदम है?

इस तरह के गुप्त तरीके से किए गए समझौते से कई सवाल उठते हैं जिन्हें पारदर्शी तरीके से स्पष्ट करने की आवश्यकता है। चिड़ियाघर, राष्ट्रीय उद्यान, बाघ और अन्य रिजर्व और अभयारण्य सभी सार्वजनिक सेवाएं हैं। इनका किसी भी रूप में निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी