1974 से पर्यावरण सरंक्षण को लेकर कार्य कर रहे नाहन के जगमीत वालिया
नाहन  में शहीद स्मारक मे पौधरोपण के बाद कई अन्य स्थानों पर बना दिए हरे भरे बागीचे


नाहन, 05 जून (हि.स.)। कहा जाता है कि आदमी का अडिग निश्चय काम के प्रति जूनून व परिश्रम हो तो कोई भी कार्य असम्भव नहीं होता। अपनी लगन व मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है। ऐसा ही कार्य कर रहे हैं नाहन के जगमीत वालिया जोकि पटवारी के पद से सेवा निवृति के बाद से ही अपने पर्यावरण प्रेम के कारण व हरियाली को बचाने के कार्य में जुटे हुए हैं।

जगमीत वालिया ने नाहन क्षेत्र में जहां शहीद स्मारक पर हरियाली लाकर उसे सुंदर स्थान बना दिया वहीं नगर परिषद के खाली जमीन पर बगीचा विकसित कर के उसे एक मनोरम स्थान बना दिया। वो खुद पौधरोपण करते हैं और फिर उनकी देखभाल भी खुद करते हैं।

जगमीत ने बताया कि उन्हें पर्यावरण को लेकर एक जूनून है और चाहते हैं कि आने पीढ़ी की विरासत में हरी भरी भूमि मिले। इसलिए उन्हें जहां खाली स्थान मिलता है वो वहां पर पौधरोपण करके उसकी देखभाल से उसे विकसित करते हैं। वो शहर में कई स्थानों पर इस तरह के पर्यावरण सरंक्षण के कार्य कर चुके हैं। उनका मानना हैकि हर व्यक्ति पौधा लगाए और फिर उसकी देखभाल की भी जिम्मेदारी ले। उनका प्रयास हैकि जगह जगह पर फूलों, फलदार पौधों को लगानां चाहिए और पर्यावरण सरंक्षण में आगे आना चाहिए।

उल्लेखनीय हैकि अब केन्द्र सरकार ने भी इस तरह की योजना बनाई है जिसमे संव्य सहायता समूहों की महिलाओं को पौधरोपण से जोड़ा जा रहा है और इनकी देखभाल के लिए उन्हें पारिश्रमिक भी दिया जायेगा। लेकिन नाहन के जगमीत वालिया निस्वार्थ भाव से पर्यावरण सरंक्षण में जुटे हुए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर