परवन वृहद सिंचाई परियोजना से सृजित होगा 2 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचित क्षेत्रः मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
केशोरायपाटन ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान में सीएम भजनलाल शर्मा व अन्य।


बूंदी/जयपुर, 5 मई (हि.स.)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राजस्थान में सबसे अधिक आवश्यकता पानी की है। इसलिए हमारी सरकार ने ईआरसीपी, यमुना जल समझौता, इंदिरा गांधी नहर, माही बांध एवं देवास जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजस्थान में कर्म भूमि से मातृ भूमि अभियान के जरिये जल संरक्षण का काम किया जा रहा है। वहीं, हमारी सरकार ने पिछले डेढ़ वर्ष में प्रदेश में जल उपलब्धता और जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किए हैं।

शर्मा गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस व गंगा दशहरा के अवसर पर बूंदी के केशोरायपाटन में ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान के तहत आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत आमजन की सहभागिता से तालाब, पोखर, सरोवर व बांध में जल संचय का कार्य प्रारंभ किया गया है। इससे भूजल स्तर में वृद्धि के साथ ही आमजन को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चम्बल राजस्थान के लिए केवल एक नदी ही नहीं बल्कि करोड़ों लोगों के लिए पेयजल एवं सिंचाई का भी प्रमुख स्रोत है। इस पर बने बांधों से बिजली का उत्पादन भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि चम्बल के पानी से कोटा, बारां एवं बूंदी में 2 लाख 29 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। इसके बेसिन में 7 हजार 355 करोड़ रूपये की लागत से परवन वृहद् सिंचाई परियोजना का कार्य कराया जा रहा है, जिससे कोटा, बारां एवं झालावाड़ जिलों में 2 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचित क्षेत्र सृजित होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चम्बल नदी पर धौलपुर लिफ्ट सिंचाई परियोजना का कार्य चल रहा है, जिससे धौलपुर जिले में लगभग 40 हजार हेक्टेयर नया सिंचित क्षेत्र विकसित होगा। मानसून के दौरान चम्बल नदी के अधिशेष पानी को लिफ्ट करके धौलपुर जिले में पानी की कमी वाले पार्वती बांध और रामसागर बांध को भरने का काम किया जाएगा। इसलिए चंबल जैसी नदियों एवं अन्य जल स्रोतों को सहेजने एवं उनके संरक्षण के लिए ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान के रूप में एक नई पहल की गई है।

शर्मा ने कहा कि ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान के तहत जल संचय संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, जल स्रोतों की साफ-सफाई के कार्य किए जाएंगे और परंपरागत जलाशयों के स्वरूप को पुनः बहाल किया जाएगा। यह अभियान आगामी 20 जून तक पूरे प्रदेश में चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि हर गांव, हर शहर और हर व्यक्ति तक जल संरक्षण का संदेश पहुंचे और राजस्थान पूरे देश में जल संरक्षण के प्रयासों की एक मिसाल बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रामजल सेतु लिंक परियोजना के माध्यम से 17 जिलों की जल आवश्यकता पूरी होगी साथ ही, 4 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई भी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि रामगढ़ (कूल नदी), महलपुर (पार्वती नदी) व नवनेरा (कालीसिंध नदी) बैराज का पानी बीसलपुर और इसरदा बांधों में लाया जा सकेगा। वहीं, शेखावाटी क्षेत्र को भी यमुना का जल मिलेगा।

शर्मा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान प्रारंभ किया। हमारी सरकार ने भी पिछले वर्ष 7 करोड़ से अधिक पौधे लगाए। वहीं, प्रदेश में इस वर्ष 10 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन से प्रदेश में कैच द रेन और कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान चलाया जा रहा है। वहीं, उनके द्वारा प्रारंभ किए गए स्वच्छ भारत अभियान में भी जन-जन ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।

ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हीरालाल नागर ने कहा कालीसिंध नदी पर बने नवनेरा बांध से कोटा-बूंदी क्षेत्र को पीने का पानी व सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगा। वहीं, ईआरसीपी एवं यमुना जल समझौते के माध्यम से आमजन की जल आवश्यकता की भी पूर्ति होगी।

मुख्यमंत्री ने चर्मण्यवती नदी की पूजा कर चुनरी अर्पित की

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित राजस्थान के लिए पानी की महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का विशेष महत्व है। हमारे यहां वृक्ष, पहाड़ और नदियों की पूजा की जाती है। उन्होंने ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान के अंतर्गत केशव घाट पर विधिवत रूप से मंत्रोच्चार के साथ चम्बल मां (चर्मण्यवती नदी) की पूजा की। उन्होंने चुनरी महोत्सव में भी शिरकत की। मुख्यमंत्री द्वारा अर्पित की गई चुनरी को नाव और बोट्स के माध्यम से चम्बल नदी पर केशव घाट से रंगपुर घाट तक ले जाया गया। इससे पहले शर्मा ने श्री केशवराय मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस दौरान मंदिर के पुजारियों ने उन्हें ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान की पहल के लिए अभिनन्दन पत्र दिया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर