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भिण्ड, 5 जून (हि.स)। जिले की विभिन्न तहसीलों में 11 गांव ऐसे हैं जहां आज भी पहुंच मार्ग नहीं है। ग्रामीणो को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। यहीं कारण है कि 25 फीसदी से अधिक परिवार गांव से पलायन कर नजदीकी शहरों या कस्बो में आकर बसने को मजबूर हो गए हैं।
गांव के लिए पहुंच मार्ग न होने के कारण कोई पिता अपनी बेटी को समस्याग्रस्त गांवों ब्याहने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। यहां तक कि लड़कियों की शादियां भी टूट रही है। ग्रामीणों पर शहर में आकर शादी करने का प्रेसर है। बेटी- बेटों का परिवार बसाने की गरज से कई किसानों को अपनी खेती बेचकर शहर की ओर पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रसव पीढ़ा होने से पहले ही महिलाओं को शहर में भेज दिया जाता है। बीमारी के दौरान भी लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
उक्त गांवों में सडक़ निर्माण स्वीकृत हुए 20 साल से ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं निकला है।
भिण्ड-इटावा रोड से मिरचौली गांव तक जाने के लिए आज भी ग्रामीणों को पगडंडी या कच्चे रास्ते का उपयोग करना पड़ रहा है। बरसात के मौसम में तो इस गांव का संपर्क कट जाता है। पिछली बरसात में कलेक्टर ने यहां से एक प्रसूता और एक हार्ट पेसेंट का रैस्क्यू कराया था। करीब 20 साल पहले मनरेगा से सडक़ निर्माण मंजूर किया गया था। शुरूआत में करीब 150 मीटर जमीन वन विभाग की है और इतनी हीं प्राइवेट।
वन विभाग ने जमीन देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है वहीं किसान भी जमीन देने से साफ मना कर चुके हैं। समाजिक पंचायतें भी हो चुकी है परंतु सहमति नहीं बन पाई। इसी प्रकार भिण्ड -लहार रोड़ से दो किमी दूर सदारी पुरा के लिए भी अभी तक पहुंच मार्ग नहीं है। २ किमी लंबे मार्ग में 500 मीटर जमीन निजी होने के कारण निर्माण नहीं हो पा रहा।
8 साल पहले तत्कालीन कलेक्टर डा. इलैयाराजा टी ने किसानों से जबरन सहमति दिला दी थी, तबादला होते ही किसान कोर्ट में चले गए और निर्माण रूक गया। लहार अनुभाग के लिलवारी रोड से लगदुआ तक पहुंच मार्ग नहीं है। अटेर में पोरसा रोड से नरीपुरा तक एक किमी पहुंच मार्ग 15 साल से अधूरा पड़ा है। जमीन के स्वामित्व को लेकर किसान कोर्ट चले गए हैं, परिणामता सडक़ का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है। जमीन का अधिग्रहण करने के लिए सरकार पर पैसा नहीं है और मुफ्त में जमीन देने के लिए किसान तैयार नहीं है। सदारी का पुरा में सडक़ निर्माण के लिए जिस जमीन की जरूरत है हाईवे पर होने के कारण उसकी कीमत करोड़ो में हैं। इतने दिनो तक निर्माण न होने के कारण सडक़ों की लागत 10 गुनी से ज्यादा हो गई है।
पहुंच मार्ग के आभाव में टूट जाती हैं शादियां
मिरचौली गांव में एक लडक़े की शादी करने एक माह पहले अटेर से रिश्तेदार आए थे लेकिन रास्ता नहीं होने के कारण शादी से इंकार कर दिया। बोले -ऐसे गांव में बेटी को ब्याह कर क्या करेंगे जहां जाने के लिए रास्ता ही नहीं है। गांव के 25 से अधिक युवाओं को समस्या ने क्वारा बना दिया है। 25-30 प्रतिशत से अधिक आर्थिक रूप से संपन्न परिवार गांव से पलायन कर शहर पहुंच गए हैं। कई लोगों को तो शहर में बसने के लिए जमीन तक बेचनी पड़ी है। बच्चों को शहर में पढ़ाना पड़ रहा है।
जिला पंचायत अध्यक्ष कामना सिंह भदौरिया का कहना है कि जिन गांवों में समस्या है वहां 20 साल पहले से सडक़ मार्ग स्वीकृत है। कहीं पर प्राइवेट जमीन है तो कहीं पर सरकारी जमीन। जमीन न मिल पाने के कारण निर्माण कार्य भी नहीं हो पा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/अनिल
हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा