मनुष्य को घिस घिसकर शालिग्राम बनाने के लिए आयाेजित हाेते हैं प्रशिक्षण वर्ग :  यतीन्द्र
अतिथि सम्मान


सुल्तानपुर, 5 जून (हि.स.)। वरिष्ठ प्रचारक एवं वर्तमान में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र ने कहा कि प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन अपने संगठन की कार्य पद्धति का एक अंग है। वर्ग का उद्देश्य मनुष्य को घिस घिसकर शालिग्राम बनाना है। क्योंकि जब पत्थर घिसता है तभी वह शालिग्राम बनता है,उसकी पूजा होती है।

नगर के सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ज्ञान कुंज विवेकानंद में भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र द्वारा आयोजित दस दिवसीय प्रान्तीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग गुरुवार को संपन्न हुआ। समापन समारोह में उपस्थित काशी प्रान्त के प्रधानाचार्यों को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि प्रशिक्षण वह सशक्त साधन है जिसके माध्यम से घिसकर हमारा जीवन राष्ट्र के लिए सदुपयोगी बनता है। हमें हर वर्ग में कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है।हम यहां अनुशासित, नियंत्रित और बंधा हुआ जीवन जीते हैं। हमें दूसरे श्रेष्ठ संस्थानों में स्वयं जाकर वहां की अच्छी बातें भी प्रत्यक्ष रूप से देखकर उसे अपने यहां लागू करना चाहिए। सम्पर्क हमारी योजना का सबसे प्रमुख अंग है। हमारी सम्पर्क करने की साधना बनी रहनी चाहिए। हम समाज के लिए ही कार्य कर रहे हैं। समाज हमारा आराध्य है।

प्रशिक्षण वर्ग में सम्मिलित प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय और विक्रम सिंह परिहार ने संगठन मंत्री के समक्ष अपना अनुभव कथन प्रस्तुत किया।

वर्ग के सर्व व्यवस्था प्रमुख सुमन्त पाण्डेय ने दस दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में योगदान देने वाले विशेषज्ञ प्रशिक्षकों, अखिल भारतीय, क्षेत्रीय एवं प्रान्तीय दायित्व धारक अधिकारियों के योगदान को सराहते हुए कहा कि इन सबके प्रोत्साहन, योगदान एवं समन्वित प्रयास से ही प्रशिक्षण वर्ग का सुचारू पूर्वक संचालन संभव हुआ। उन्होंने पूरे दस दिन तक वर्गाधिकरी के रूप में उपस्थित रहे भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के अध्यक्ष कंचन सिंह के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रशिक्षण में काशी प्रान्त के प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी के अनवरत क्रियाशील योगदान की भूरि भूरि प्रशंसा की। वर्ग के बौद्धिक व्यवस्था प्रमुख प्रधानाचार्य इन्द्रजीत त्रिपाठी के प्रति भी आभार प्रकट किया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / दयाशंकर गुप्ता