Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
बोकारो, 5 जून (हि.स.)। युगान्तर भारती की ओर से बो कारो में ‘देवनद-दामोदर महोत्सव-2025’ के अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि देवनद-दामोदर महोत्सव सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है।
पर्यावरणीय जागरूकता का सशक्त माध्यम है। विश्व पर्यावरण दिवस के साथ हम भारतीय अपनी सनातन परंपरा के अनुरूप गंगा अवतरण को भी स्मरण कर रहे हैं।
यह दिवस प्रकृति और परंपरा दोनों के प्रति हमारे दायित्वों की याद दिलाता है। पर्यावरण प्रदूषण आज एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। यह विचारणीय है कि हम किस प्रकार विकास की राह पर अग्रसर होते हुए प्रकृति और पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखें।
झारखंड प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर राज्य है। यहां के वन, पर्वत, जलप्रपात और नदियाँ केवल दृश्य सौंदर्य नहीं, बल्कि जीवनदायिनी हैं। इनका संरक्षण हमारा नैतिक और सामाजिक दायित्व है। आज का आयोजन ‘देवनद-दामोदर महोत्सव’ न केवल हमारी सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरणीय जागरूकता का भी सशक्त माध्यम है। मैं युगान्तर भारती संस्था को बधाई देता हूं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण को एक जन-आंदोलन का स्वरूप दिया। दामोदर नदी केवल एक नदी नहीं, बल्कि झारखंड की जीवनरेखा है। इसने वर्षों से इस क्षेत्र की औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को आधार दिया है। बोकारो स्टील प्लांट, चन्द्रपुरा एवं तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन जैसे अनेक प्रतिष्ठान दामोदर के किनारे स्थापित हैं। लेकिन औद्योगिक विकास की दौड़ में दामोदर नदी को भारी प्रदूषण का भी सामना करना पड़ा। यह समझना आवश्यक है कि नदियों की स्वच्छता केवल शासन या संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। एक समय गंगा नदी भी बहुत प्रदूषित हो गई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा ‘नमामि गंगे परियोजना’ के माध्यम से गंगा नदी की स्वच्छता के लिए
व्यापक कार्य किए गए। मौके पर कई लोग मौजूद थे।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / अनिल कुमार