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जयपुर, 5 जून (हि.स.)। डीडवाना विधायक एवं पूर्व मंत्री यूनुस खान ने गुरुवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर जल संरक्षण के उद्देश्य से प्रारंभ की गई योजना वन्दे गंगा के नाम में संस्कृत व्याकरण की त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए इसके परिमार्जन की मांग की है।
खान ने बताया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत योजना प्रशंसनीय और समयानुकूल है लेकिन योजना के नाम में प्रयुक्त संस्कृत पदबंध 'वन्दे गंगा' व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध है। पाणिनीय व्याकरण के अनुसार 'वन्दे' का अर्थ 'मैं वंदना करता हूँ' होता है। जिसे वंदन किया जाता है, उसमें द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है, प्रथमा का नहीं। हम 'वन्दे मातरम्' कहते हैं, न कि 'वन्दे माता'। इसी प्रकार, 'गंगा' शब्द को भी द्वितीया विभक्ति में 'गंगाम्' लिखा जाना चाहिए। योजना का शुद्ध एवं व्याकरण सम्मत नाम 'वन्दे गंगाम्' होना चाहिए, 'वन्दे गंगा' नहीं।
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है कि राजस्थान जैसे राज्य में जहां राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्कृत शिक्षा विभाग एवं संस्कृत अकादमी जैसी संस्थाएं सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं, वहां सरकारी योजनाओं के नामकरण में संस्कृत की मूल नियमबद्धता की उपेक्षा की जा रही है। यह न केवल संस्कृत भाषा की गरिमा को आघात पहुंचाने वाला है, बल्कि सनातन सांस्कृतिक चेतना और ज्ञान परंपरा के प्रति भी सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।
खान ने उल्लेख किया कि राज्य सरकार को आधिकारिक कार्यों में भाषिक शुद्धता और व्याकरणीय अनुशासन का पालन करना चाहिए। योजनाओं के नाम केवल प्रतीकात्मक नहीं होते, वे जनमानस में शासन की छवि और दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करते हैं।
खान ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि योजना के नाम को 'वन्दे गंगा' से परिवर्तित कर 'वन्दे गंगाम्' किया जाए, जिससे राजस्थान सरकार की भाषिक प्रतिबद्धता और संस्कृत भाषा के प्रति सम्मान का स्पष्ट संदेश जन-जन तक पहुंचे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित