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-स्नान, दान और साधना से जुड़ा पर्व: गंगा दशहरा का आध्यात्मिक
संदेश
सोनीपत, 5 जून (हि.स.)। गन्नौर में गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गुरुवार को भारत के 68 प्रमुख
तीर्थों में से एक सिद्धपीठ सतकुंभा धाम में भारी संख्या में भक्त जुटे। जेष्ठ
शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला यह पर्व दश-हर अर्थात् दस पापों के विनाश का प्रतीक
माना जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों का स्मरण कर
स्नान किया, पूजा-पाठ कराया और भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया।
पीठाधीश्वर श्रीमहंत राजेश स्वरूप महाराज ने इस दिन के धार्मिक
और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पर्व पवित्र स्नान, आत्मशुद्धि
और सेवा का उत्सव है। उन्होंने नव-निर्मित सत्संग सभागार, लंगर हॉल के उद्घाटन को सनातन
संस्कृति के लिए एक प्रेरणादायक प्रयास बताया।
मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल
बड़ोली ने जनसेवा को ही अपने कार्यों का मूल उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि यह धाम
शक्ति और शांति का केंद्र है, और यहां की ऊर्जा उन्हें सदैव समाज के लिए कुछ नया करने
को प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा ही परमात्मा की सच्ची आराधना
है और सनातन धर्म के संस्कार ही जीवन का मूल आधार हैं।
देश-प्रदेश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु सतकुंभा धाम
पहुंचे और आध्यात्मिक उल्लास के इस महापर्व में सहभागी बने। आयोजकों की ओर से अनंत
भंडारा और व्यवस्थाओं ने इस आयोजन को भव्य और सफल बनाया। वाहनों के लिए फ्री पार्किंग
की व्यवस्था की गई थी। इंस्पेक्टर जगदीश के नेतृत्व में पुलिस कर्मियों ने सुरक्षा
व्यवस्था को बनाए रखा। सूरज
शास्त्री, आचार्य अमन ने मंत्रोच्चारण करवाया। पूर्व प्रधान सेठ पाल छौक्कर, जनेशसर,
रामफल बाबू जी, जसबीर दोदुआ, निशांत छौक्कर, सत्यवान स्वरुप, महेंद्र भारद्वाज ने मेहमानों का स्वागत किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना