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कोलकाता, 5 जून (हि.स.) ।
कोलकाता महानगर की भीड़भाड़ और शोर शराबे के बीच, एक व्यक्ति अपने संकल्प और समर्पण से शहर में हरियाली की खामोश मुहिम चला रहा है। 67 वर्षीय रमेश चंद्रन, जिन्हें अब लोग स्नेहपूर्वक ‘ट्रीमैन ऑफ कोलकाता’ कहने लगे हैं, पिछले 25 वर्षों से बिना किसी प्रचार, पुरस्कार या सरकारी सहायता के पेड़-पौधों के माध्यम से पर्यावरण की सेवा कर रहे हैं।
केरल में जन्मे चंद्रन ने सेवानिवृत्ति के बाद आराम का रास्ता न चुनकर प्रकृति से रिश्ता मजबूत किया। उन्होंने आम और कटहल जैसे फलों के बीजों से शुरुआत की और अपने घर में ही एक छोटी सी नर्सरी तैयार कर ली। समय के साथ इसमें नीम, खजूर, एरिका पाम, तुलसी और सैकड़ों अन्य पौधों की प्रजातियां शामिल हो गईं। इन पौधों को वे शहर के स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों और खाली ज़मीनों पर लगाते हैं और स्कूलों में बच्चों को मुफ्त बांटते भी हैं।
रमेश चंद्रन का मानना है कि “पेड़ लगाना केवल एक क्रिया नहीं, एक जिम्मेदारी है।” वे बच्चों को खुद पौधा तैयार करने की प्रक्रिया सिखाते हैं ताकि कम उम्र से ही उनमें प्रकृति के प्रति जुड़ाव पैदा हो। उनका परिवार भी इस मिशन में उनके साथ है – पत्नी, बच्चे और अब तो पोते-पोतियां भी पौधों की देखभाल में जुटे रहते हैं।
उनकी सबसे खास बात यह है कि वे यह पूरा काम पूरी तरह नि:स्वार्थ भाव से करते हैं – न कोई शुल्क, न प्रचार, न ही किसी पुरस्कार की अपेक्षा। लोग आज स्वयं उनके घर आकर पौधे ले जाते हैं। सिर्फ नए पौधे लगाना ही नहीं, वे उपेक्षित, सूखते या टूटते पेड़ों को भी बचाने में जुटे रहते हैं। अब तक दर्जनों पेड़ों को पुनर्जीवित कर चुके हैं।
चंद्रन का अगला सपना है – कोलकाता में तुलसी का एक बागान तैयार करना, जिसके लिए उन्होंने साउथर्न एवेन्यू क्षेत्र को चुना है और प्रशासन की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही वे प्लास्टिक मुक्त और हरियाली से भरपूर कोलकाता के अपने मिशन को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं।
उनकी सादगी और समर्पण यह दिखता है कि अकेला व्यक्ति भी समाज में सकारात्मक बदलाव का बड़ा कारण बन सकता है। रमेश चंद्रन आज न केवल कोलकाता, बल्कि पूरे देश के लिए पर्यावरण संरक्षण का जीवंत उदाहरण बन चुके हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय