पानीपत में किसान को जिंदा जलाने में सरकार का संरक्षण : सुरजेवाला
पानीपत में पत्रकारों से वार्ता करते सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला


पानीपत, 5 जून (हि.स.)। राज्यसभा सांसद एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला गुरुवार को पानीपत पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि हरियाणा के इतिहास में 75 वर्षों में जो अपराध नहीं हुआ, वह अब पानीपत की धरती पर सरकार के संरक्षण और मिलीभगत में हुआ।

सुरजेवाला ने कहा कि साल 2014 में भाजपा सरकार के गठन के साथ ही एक 'जमीन डेवलपर' का उदय हुआ, जिसका नाम है। सुमित कुमार नरवर। साल 2014 से 2021 तक हरियाणा की सत्ता के गलियारों में हर व्यक्ति सुमित कुमार नरवर व भाजपा सरकार में उसकी पहुंच और दबदबे को जानता है।

उन्होंने कहा कि सुमित कुमार नरवर की ट्राइडेंट होल्डिंग कॉर्पोरेशन पैरेंट कंपनी है। इस लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप के दो पार्टनर हैं सुमित कुमार नरवर और पूनम नरवर। इससे पहले इसका नाम ट्राइडेंट रियल्टी था। सुमित नरवर का ट्राइडेंट ग्रुप ट्राइडेंट पार्क टाउन प्राईवेट लिमिट के नाम से पानीपत में सेक्टर 19 में लगभग 125 एकड़ में एक टाउनशिप बना रहे हैं।

सुमित कुमार नरवर की इस कंपनी ट्राइडेंट पार्क टाउन प्राईवेट लिमिटेड का विवाद गांव निजामपुर, जिला पानीपत निवासी एक गरीब किसान विजेंद्र कुमार से चल रहा था। पानीपत प्रशासन ने भी पार्टीशन के दावे में बहुत तीव्र गति से कार्रवाई कर इस गरीब किसान के हकों को खारिज कर सुमित कुमार नरवर की कंपनी के हक में फैसला दे दिया। दाे जून 2025 की शाम को गांव निजामपुर किसान विजेंद्र कुमार पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर कंपनी के बाउंसरों द्वारा उसे जिंदा जला दिया गया।

विजेंद्र अपनी जमीन न छीनने को लेकर बिलखता रहा, रोता रहा, लेकिन जो कंपनी अब सरकार बन गई है, उसके गुंडों ने पीड़ित किसान की एक नहीं सुनी। गरीब किसान विजेंद्र की जलाकर सुनियोजित तरीके से हत्या कर दी गई। रणदीप सुरजेवाला ने कहा, जब गरीब किसान विजेंद्र को परिवारजन उठाकर दिल्ली ले जा रहे थे, तो बाकायदा उसने स्वयं कैमरे पर कंपनी के कारिंदों द्वारा जिंदा आग लगाकर जलाने की बात कही। सरकार प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत है, 2 जून को कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। एफआईआर दर्ज हुई 3 जून को तब हुई जब किसानों ने बाकायदा पुलिस स्टेशन पर धरना दिया। पुलिस पर सवालिया निशान उठाते हुए उन्होंने कहा कि। गरीब किसान का कत्ल करने वाले किसी दोषी का नाम नहीं लिखा, ताकि बाद में मामला रफा-दफा हो सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल वर्मा