मां विंध्यवासिनी मंदिर की बावड़ी में जल अर्पित करने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
जल अर्पित करने बावली की सीढ़ियों में लगी श्रध्दालुओं की कतार।


बावली में जल अर्पित करते हुए मंदिर समिति के पदाधिकारी व अन्य।


पूजन के दौरान समूह में खड़े हुए महापौर रामू रोहरा, मंदिर समिति अध्यक्ष आनंद पवार, अन्य पदाधिकारी व अन्य सदस्य।


धमतरी, 5 जून (हि.स.)। नगर के आराध्य देवी विंध्यवासिनी मंदिर की ऐतिहासिक बावड़ी को पुनः खोलने के बाद गंगा दशहरा के दिन पवित्र जल अर्पित करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सैकड़ों बरस पुरानी यह बावड़ी पिछले लगभग 35 वर्षों से बंद थी। ट्रस्ट की ओर से इसे खुलवाया गया। इसका सुंदरीकरण भी किया जाएगा। ऐतिहासिक बावड़ी में जल अर्पित करने श्रध्दालुओं की भीड़ लगी रही।

शहर की ऐतिहासिक विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन के लिए एक कड़ी और जुड़ गई है। अब लोग माता के दर्शन करने के साथ बावड़ी में भी पहुंचेंगे। गुरूवार पांच जून को गंगा दशहरा की शुभ अवसर पर पं. महेश शास्त्री, पं. होमन प्रसाद शास्त्री, पं. अशोक शास्त्री, निशांत शर्मा, श्रीकांत तिवारी, हेमराज तिवारी, सन्नी शर्मा, विंध्यवासनी मंदिर के पुजारी नारायण दुबे, अरूण तिवारी, भीखम शुक्ला, यशनारायण दुबे द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत पूजा के पश्चात महापौर रामू रोहरा और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आनंद पवार ने सर्वप्रथम जल अर्पित किया। इसके बाद जल चढ़ाने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जल चढ़ाने सर्व सामाज अध्यक्ष दीपक लखोटिया, राकेश दीवान, मदन मोहन खंडेलवाल, माधव राव पवार, सूर्याराव पवार, डा हीरा महावार, दीपक राय, पार्षद सतीश पवार, बाबी पवार, गोपाल रणसिंह, प्रदीप पवार, गोलू रणसिंह, दीपक लोंढे, नरेन्द्र जायसवाल, संतोष सोनकर, अनिता सहित अन्य लोग पहुंचे।

शहर के बड़े मंदिरों का कॉरिडोर बनने लगा है। उसी की ही तर्ज पर अब विंध्यवासिनी मंदिर में कारिडोर बनाया जाएगा। इस अवसर पर पहुंचे महापौर रामू रोहरा ने कहा कि मंदिर में कारिडोर का निर्माण कराया जाएगा।

इस अवसर पर विंध्यवासिनी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आनंद पवार ने बताया कि, मां विंध्यवासिनी बिलाई माता मंदिर स्थित पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी जिसे किसी कारणवश मलबे से पाटकर बंद कर दिया गया था। मां की प्रेरणा से नीचे तक सकुशल खुदाई की गई। सीढ़ियां पुराने स्वरूप में यथावत है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को भागीरथी के तपस्या से मां गंगा भगवान शिव की जटा से अवतरित हुई थी। इसी तिथि पर बावड़ी के पुनः जल संचरण और संरक्षण की पहल करने का निर्णय मंदिर ट्रस्ट समिति ने लिया था। इस अवसर पर गंगा, यमुना, गौमुखी, रामेश्वरम, तिरूपति, प्रयागराज, त्रिवेणी संगम, राजिम, महानदी, अमृतसर, बारहज्योर्तिलिंग, चारोधाम आदि जगह से लाए जल को श्रद्धालुओं ने अर्पित कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। आगे इस बावड़ी का सुंदरीकरण किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा