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जगदलपुर, 5 जून (हि.स.)। राज्य शासन के दिशा निर्देशों के तहत जिले में अतिशेष शिक्षकों के काउंसिलिंग की प्रक्रिया बुधवार देर रात तक पूरी कर ली गई है । इस प्रक्रिया के पूरा होने के साथ ही जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में मौजूद शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को नए शिक्षक मिल गए, वहीं इन क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों को भी बेहतर शिक्षा की गारण्टी सुनिश्चित हो गई है। आने वाले दिनों में जब विद्यालय खुलेंगे तो उन्हें नए शिक्षक के साथ अध्ययन का अवसर मिलेगा। कलेक्टर हरिस एस के मार्गदर्शन में सीईओ जिला पंचायत प्रतीक जैन की अध्यक्षता में जिला कार्यालय के प्रेरणा सभाकक्ष में आयोजित काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी की गई। प्रभारी कलेक्टर प्रतीक जैन ने कहा कि जिले में अतिशेष शिक्षकों के युक्ति युक्तकरण की प्रकिया शासन के दिशा निर्देशों के अंतर्गत पूरी कर ली गई है। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन द्वारा निष्पक्ष और पारदर्शिता के साथ काउंसिलिंग आयोजित की गई। जिले का कोई भी विद्यालय शिक्षकविहीन नहीं रहेगा, शैक्षणिक माहौल और बेहतर होगा। प्राथमिक और माध्यमिक शाला के बच्चों को शिक्षक मिलने से उनके शिक्षा की नींव मजबूत होगी।
शासन के दिशा निर्देशों के तहत जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग द्वारा अतिशेष शिक्षको की काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। लगातार दो दिनों तक चले इस प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ अतिशेष शिक्षकों को शिक्षकविहीन विद्यालय और शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में पदस्थ किया गया। सर्वप्रथम प्राथमिक शालाओं के सहायक शिक्षको और प्रधान अध्यापक की तथा माध्यमिक शालाओं के प्रधान अध्यापक की काउंसलिंग तीन जून को की गई। इस प्रक्रिया में लगभग 202 सहायक शिक्षको और 15 प्रधान पाठक की काउंसलिंग की गई।
इसी तरह चार जून को अतिशेष व्याख्याता और माध्यमिक शाला के शिक्षको की काउंसिलिंग में 152 व्याख्याता और माध्यमिक शाला के 186 शिक्षको को काउंसलिंग की गई । विद्यालय के अतिशेष व्याख्याताओं को उन विद्यालयों में पदस्थ किया गया है, जहाँ गणित,रसायन, भौतिकी, हिंदी, अंग्रेजी, कामर्स विषयों के शिक्षकों की कमी थी। अतिशेष शिक्षको की नई जगह पर पदस्थापना से दूरस्थ क्षेत्र के विद्यालयों में जहाँ शिक्षको की कमी दूर हो गई है वहीं इन विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी शासन द्वारा जारी आदेश के तहत की गई युक्ति युक्तकरण की व्यवस्था लाभदायक होने जा रही है।
अतिशेष शिक्षको के युक्तियुक्तकरण का लाभ दूरस्थ क्षेत्र के विद्यार्थियों को मिलने के साथ ही अनेक शिक्षकों के लिए भी लाभदायक साबित होगा। कुछ विद्यालय में शिक्षक नहीं होने से आसपास के किसी विद्यालय के शिक्षक को संलग्न कर अध्यापन के लिए भेजा जाता था। उनके ऊपर अधिक संख्या में मौजूद बच्चों को पढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी के साथ ही अन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी रहती थी। शिक्षक नहीं होने या कम शिक्षक होने से बच्चों के पालक भी परेशान होते थे। अब शिक्षको और पालकों को इसका लाभ मिलेगा।प्राथमिक और माध्यमिक शाला के अतिशेष शिक्षकों को दूरस्थ क्षेत्रों के शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों में पदस्थ किए जाने से विद्यालयों में शिक्षा की नींव मजबूत होगी वहीं हायर सेकण्डरी में पहुंचने वाले विद्यार्थियों को भी अब गणित, भौतकी, रसायन, जीवविज्ञान, अंग्रेजी जैसे विषयों में शिक्षकों की कमी को पूरा किया किया गया है ।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे