उदयपुर का मेनार और फलोदी का खीचन रामसर साइट्स घोषित
मेनार बडर् विलेज फाइल फाेटाे


जयपुर, 5 जून (हि.स.)। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर राजस्थान को पर्यावरण के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिली है। राज्य के दो गांव उदयपुर का मेनार (बर्ड विलेज) और जोधपुर के फलोदी का खीचन अब अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त रामसर साइट्स में शामिल हो गए हैं। इस घोषणा के बाद भारत में अब कुल रामसर साइट्स की संख्या 91 हो गई है।

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर यह जानकारी साझा की। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया और राजस्थान वासियों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोशल मीडिया पर इस उपलब्धि की सराहना की और लिखा कि यह पर्यावरण संरक्षण में भारत की प्रगति का प्रतीक है, जिसमें जनभागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस अवसर को “राजस्थान के लिए गौरव का क्षण” बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय मंत्री यादव का आभार जताया और इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

उदयपुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित मेनार गांव पक्षी प्रेमियों के बीच ‘बर्ड विलेज’ के नाम से प्रसिद्ध है। यहां 200 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें संकटग्रस्त सारस क्रेन, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, फेरूजीनस पोचार्ड, और डालमेशियन पेलिकन जैसे पक्षी भी शामिल हैं। यहां के ब्रह्म तालाब और ढंड तालाब को मिलाकर 132 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले मेनार वेटलैंड को अगस्त 2023 में ही राज्य सरकार ने अधिसूचित किया था। दूसरी तरफ, जोधपुर जिले के फलोदी कस्बे का खीचन गांव दुनियाभर में कुरजां (डेमोजिल क्रेन) पक्षियों के प्रवास के लिए मशहूर है। हर साल हजारों पक्षी यहां प्रवास करते हैं। ग्रामीणों द्वारा किए गए संरक्षण प्रयासों से यह स्थल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका है।

रामसर साइट वह आर्द्रभूमि होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड घोषित किया जाता है। इसकी शुरुआत 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुए एक सम्मेलन से हुई थी। यह संधि 1975 से लागू हुई और इसका उद्देश्य है नम भूमि का संरक्षण और सतत उपयोग। उदयपुर शहर को इसी साल 24 जनवरी को ‘रामसर सिटी’ घोषित किया गया था। अब मेनार गांव के शामिल होने से उदयपुर की पर्यावरणीय पहचान ज्यादा मजबूत हो गई है। यह उपलब्धि न सिर्फ राज्य के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित