हिसार : केवल एक दिन खानापूर्ति की बजाय हर दिन मनाएं पर्यावरण दिवस : एमसी मेहता
गुजवि में नवनिर्मित ‘रिसोर्स मैनेजमेंट एवं सस्टेनेबिलिटी सेंटर’ का लोकार्पण करते मुख्यातिथि पद्मश्री एमसी मेहता।


कार्यक्रम में मुख्यातिथि पद्मश्री एमसी मेहता को सम्मानित करते कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।


प्रख्यात पर्यावरणविद मेहता बोले, अपने घर से करनी होगी पर्यावरण संरक्षण की शुरूआत

हिसार, 5 जून (हि.स.)। प्रख्यात पर्यावरणविद एवं रमन मैग्सेसे अवार्डी पद्मश्री एमसी मेहता ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत हमें अपने घरों से करनी होगी, तभी हम इस बारे में दूसरे को जागरूक कर पाएंगे। केवल पांच जून को ही पर्यावरण दिवस मनाकर खानापूर्ति नहीं करनी है, बल्कि हमें हर दिन पर्यावरण दिवस मनाना है। पद्मश्री एमसी मेहता गुरुवार को यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग के सौजन्य से विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘प्लास्टिक प्रदूषण पर पूर्ण विराम’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के सेवानिवृत प्रो. एससी जैन व कुलसचिव डा. विजय कुमार कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इससे पूर्व पद्मश्री एमसी मेहता ने विश्वविद्यालय में नवनिर्मित ‘रिसोर्स मैनेजमेंट एवं सस्टेनेबिलिटी सेंटर’ का लोकार्पण किया। इस केन्द्र से प्रतिदिन विश्वविद्यालय परिसर से 1.5 टन कचरे को वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेस करके संसाधन में बदला जाएगा। पद्मश्री एमसी मेहता ने कहा कि हमें सरकार के भरोसे नहीं बैठना होगा कि सरकार ही प्रदूषण को रोकेगी बल्कि हमें आम जन को, शिक्षाविदों व युवाओं को इसके प्रति जागरूकता लानी होगी, तभी यह कार्य पूरा हो पाएगा। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई से अनुरोध किया कि अपने विद्यार्थियों को भी इसके बारे में विशेषकर अलग-अलग क्लबों का गठन करके जागरूकता फैलाने के लिए विद्यार्थियों को गांवों में भेजें। इस दौरान उन्होंने छात्रों व शिक्षकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अब कचरा का अगर हम ठीक तरीके से निष्पादन करते हैं तो बाहर की कंपनियां भी खरीद कर ले जाती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर