हिसार : भविष्य की पीढ़ियों के अस्तित्व का संकट बनता जा रहा पर्यावरण प्रदूषण : प्रो. नरसी राम बिश्नोई
गुजवि परिसर में पौधारोपण करते मुख्यातिथि पद्मश्री एमसी मेहता व कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।


गुजविप्रौवि हिसार में कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण एवं प्रतिभागी।


विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘प्लास्टिक प्रदूषण पर पूर्ण विराम’ विषय पर आयोजित कार्यक्रमविश्वविद्यालय की स्थापना के समय थे केवल 16 वृक्ष, अब 55 हजार से ज्यादा बड़े वृक्षहिसार, 5 जून (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि विश्व पर्यावरण दिवस इस वर्ष का थीम है प्लास्टिक प्रदूषण पर पूर्णविराम। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों की मूल आत्मा से जुड़ा हुए एक वैश्विक आह्वान है। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई गुरुवार को गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग के सौजन्य से विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘प्लास्टिक प्रदूषण पर पूर्ण विराम’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संबोधन दे रहे थे। प्रख्यात पर्यावरणविद एवं रमन मैग्सेसे अवार्डी पद्मश्री एमसी मेहता इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे। कुलपति ने कहा कि हमारी धरती पर प्रतिदिन 1.5 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से अधिकांश सिंगल यूज प्लास्टिक है। यह प्रदूषण नदियों समुद्रों, मिट्टी को और यहां तक कि हमारे शरीर को भी प्रभावित कर रहा है। प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना 15वीं शताब्दी के संत एवं महान पर्यावरणविद गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के नाम पर हुई है, जिनके उपदेशों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जैव विविधता का संरक्षण और सहअस्तित्व की भावना सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना के समय यहां 16 वृक्ष थे और आज 55 हजार से ज्यादा बड़े वृक्षों और सघन हरियाली के साथ प्रदेश के ग्रीन कैंपस के रूप में स्थापित हो चुका है। हमारी प्रतिबद्धताएं केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं हैं। हम हरित विकास को एक समग्र संस्कृति के रूप में देख रहे हैं। सेवानिवृत्त प्रो. एससी जैन ने अपने संबोधन में कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या एक बड़ी चुनौती है। सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए। प्लास्टिक कचरे की रीसाइक्लिंग होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्पादन के लिए कच्चे माल की बजाय उपयोग किया गया प्लास्टिक प्रयोग करना चाहिए। इससे लागत भी कम आएगी तथा पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। कुलसचिव डा. विजय कुमार ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि जिस प्रकार से यह पवित्र धरती निस्वार्थ भाव से हम सबका मां की तरह भरण व पोषण करती है, उसी प्रकार हम सबकी भी जिम्मेदारी है कि हम एक अच्छे पुत्र की नाते इसका संरक्षण करें तथा स्वच्छ व स्वस्थ रखने का कार्य करें। विभाग की डीन एवं अध्यक्षा प्रो. आशा गुप्ता ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि गुजविप्रौवि पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर