प्राकृतिक खेती समय की आवश्यकता, रासायनिक खेती से बढ़ रही बीमारियां: आचार्य देवव्रत
कार्यक्रम में पहुंचने पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत का स्वागत करते मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी।


कार्यक्रम में पहुंच कर विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण करते राज्यपाल आचार्य देवव्रत व मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी।


हिसार, 5 जून (हि.स.)। गुजरात के राज्यपाल एवं प्राकृतिक खेती के प्रबल समर्थक आचार्य देवव्रत ने कहा है कि देश को टिकाऊ कृषि की ओर अग्रसर करने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना अब समय की मांग बन चुकी है। उन्होंने रासायनिक खेती के दुष्परिणामों का जिक्र करते हुए कहा कि अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से न केवल मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो रही है, बल्कि इसके कारण स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है जिससे कैंसर, शुगर और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों की संख्या भी बढ़ रही है।राज्यपाल आचार्य देवव्रत गुरुवार को यहां के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन में किसानों व उपस्थितजनों को संबोधित कर रहे थे। आचार्य देवव्रत ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं प्राकृतिक खेती को अपनाने के कई प्रयास किए और इसके परिणाम अत्यंत सकारात्मक रहे। उन्होंने किसानों को बताया कि प्राकृतिक खेती न केवल स्वास्थ्यवर्धक फसल उत्पादन का माध्यम है, बल्कि यह मृदा की उर्वरता को बनाए रखती है, जल संरक्षण में सहायक होती है और उत्पादन की लागत को भी काफी हद तक कम कर देती है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सुरक्षित और पोषणयुक्त भोजन मिलता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से उत्पादन बिलकुल नहीं घटता है।राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन’का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इसके तहत केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाए। इस मिशन के अंतर्गत वर्ष 2025 -26 के लिए 1481 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे इस योजना का लाभ लें और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर प्राकृतिक खेती की तकनीकों को अपनाएं।आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य की आवश्यकता है। उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि वे मिलकर एक व्यापक रणनीति बनाएं ताकि देश को रासायनिक खेती के दुष्चक्र से बाहर निकाला जा सके और भावी पीढिय़ों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण किया जा सके। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे रासायनिक खेती को त्यागते हुए प्राकृतिक खेती अपनाकर न केवल अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा भी करें।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर