Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
कोलकाता, 05 जून (हि.स.)। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ संयंत्र गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) ने नॉर-शिपिंग 2025 के दौरान भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को मजबूत करने और वैश्विक साझेदारियों को विस्तार देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण रणनीतिक समझौते और एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। यह प्रतिष्ठित आयोजन 02 जून से 06 जून तक नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में आयोजित हो रहा है।
जीआरएसई की ओर से गुरुवार को जारी बयान में बताया गया है कि गत चार जून को जीआरएसई और जर्मनी की कंपनी कार्स्टन रेहडर शिफ्समैकलर उंड रेडेरेई के बीच एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता 7,500 डेडवेट टन वाले चार मल्टी-पर्पज जहाजों के निर्माण को लेकर हुआ है, जो वर्तमान में जीआरएसई के कोलकाता यार्ड में बन रहे आठ जहाजों की श्रृंखला का ही विस्तार होंगे। इन अतिरिक्त जहाजों में हाइब्रिड प्रोपल्शन तकनीक होगी और ये नवीनतम साइबर सुरक्षा मानकों का पालन करेंगे। इन जहाजों के लिए ठोस अनुबंध 31 अगस्त 2025 तक तय होने की संभावना है।
ऑफशोर प्लेटफॉर्म डिजाइन के लिए दुबई की कंपनी से समझौताजीआरएसई ने समुद्री प्लेटफॉर्म और पोत डिजाइन के क्षेत्र में वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से दुबई स्थित प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और डिजाइन फर्म एम/एस एरियस मरीन के साथ भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी के तहत एरियस द्वारा डिज़ाइन किए गए प्लेटफॉर्म और जहाजों के निर्माण का कार्य जीआरएसई करेगी, जिससे वैश्विक स्तर पर ऑफशोर बाजार में कंपनी की पहुंच और भागीदारी बढ़ेगी।
इंजन निर्माता और कोन्ग्सबर्ग के साथ भी हुए समझौतेइसके अतिरिक्त, जीआरएसई ने 04 जून को एक वैश्विक इंजन निर्माता कंपनी के साथ भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। साथ ही हाल ही में जीआरएसई ने नॉर्वे की कंपनी कोन्ग्सबर्ग मरीनटाइम के साथ भी एक समझौता किया है, जो राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संभावित रूप से आने वाले पोलर रिसर्च वेसल की निविदा के लिए तैयारी का हिस्सा है।
इन सभी समझौतों से जीआरएसई को न केवल तकनीकी क्षमताओं के विस्तार में मदद मिलेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर साझेदारियों को मजबूत करते हुए भारत की समुद्री शक्ति को और सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।----
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर