झारखंड में पहली बार लेप्रोस्कोपी विधि से डायाफ्राम का हुआ सफल ऑपरेशन
सफल ऑपरेशन के बाद चिकित्सकों के बीच मरीज


अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों की टीम


रामगढ़, 5 जून (हि.स.)। देश के बड़े इलाकों में चिकित्सक लेप्रोस्कोपी विधि से इलाज कर मरीजों की जान बचाते आ रहे थे। पिछड़ा राज्य होने के बावजूद झारखंड में भी चिकित्सकों ने लेप्रोस्कोपी विधि से इलाज करना शुरू कर दिया है। रामगढ़ शहर के वृंदावन पोलीडॉक अस्पताल के चिकित्सकों ने एक सफल ऑपरेशन कर यह साबित कर दिया कि वे भी किसी से कम नहीं है। इस सफल ऑपरेशन के बाद अस्पताल के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉक्टर कौशल कुमार, डॉक्टर शक्ति, एडवांस्ड लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ अजीत ने यह दावा किया कि झारखंड में यह पहला लेप्रोस्कोपी विधि से सफल ऑपरेशन रहा है। उन्होंने बताया कि आईसीयू के चिकित्सक डॉक्टर राजेश, डॉक्टर आनंद, डॉक्टर आकांक्षा और अन्य स्टाफ की मदद से राहुल शर्मा की जान बचाई जा सकी है।

डॉ अजीत ने बताया कि रामगढ़ शहर में कुछ दिनों पहले एक 30 वर्षीय युवक राहुल शर्मा पर चाकू से हमला किया गया। हमलावर ने छाती में बाएं साइड से चाकू घुसाया जिसकी वजह से राहुल के फेफड़े और डायाफ्राम में छेद हो गया। डायाफ्राम के नीचे पूरी आंत रहती है। छेद होने की वजह से आंत का कुछ हिस्सा फेफड़ों की तरफ घुस गया था।

चिकित्सकों ने सबसे पहले मरीज की छाती में नली लगाया और स्थिति को संभाला। बाद में सिटी स्कैन से उसकी गंभीरता स्पष्ट हुई। चिकित्सकों ने फिर दूरबीन विधि से सर्जरी करने का प्लान किया। इसके बाद छाती के अंदर घुसे हुए हाथ को सावधानीपूर्वक वापस पेट में लाया गया। बाद में छाती के अंदर जमे हुए खून के थक्के, फेफड़ों की झिल्ली और खराब हुए फेफड़ों के भाग को हटाया गया। छाती एवं पेट के बीच की दीवार (डायाफ्राम) में हुए छेद की सिलाई करके ठीक किया गया। इस दौरान मरीज को 48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा गया, ताकि वह जल्दी ठीक हो सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश