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जब किसानों को टेल पर पानी नहीं मिलेगा तो वह प्राकृतिक खेती कहां से करेगा : किसान
हिसार, 5 जून (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन का अंतिम सत्र के दौरान एक किसान ने टेल पर पानी न पहुंचने की बात कहकर सबको अचंभे में डाल दिया। दरअसल सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी किसानों से संवाद कर रहे थे, एक किसान उठा तो सीएम बोले बताओ, जब किसान ने बताना शुरू किया तो मुख्यमंत्री ने यह कहकर उसे बैठा दिया कि बाद में मिलना।
समारोह के मुख्य अतिथि सीएम नायब सैनी गुरुवार काे आयाेजित कार्यक्रम में अपना संबोधन पूरा कर चुके थे और इस दौरान एक किसान भीड़ से उठा और अपनी बात रखने की इजाजत मांगी। इस पर सीएम ने किसान को कहा कि बोलिए क्या कहना चाहते हो। सीएम ने कर्मचारियों से कहा कि किसान को माइक उपलब्ध करवाया जाए। किसान ने खुद को कुलेरी गांव को बताते हुए टेल तक पानी नहीं पहुंचने की पीड़ा सीएम के सामने रखी। किसान संजय महता ने कहा कि जब किसानों को टेल पर पानी तक नहीं मिलेगा तो वह प्राकृतिक खेती कहां से करेगा। मैंने 70 एकड़ में बाग लगाया, लेकिन पानी नहीं मिलने के कारण बाग उजड़ गया है। यह कहते हुए किसान भावुक हो गया और उसकी आंखों से आंसू छलकने लगे। किसान ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि संबंधित विभाग में चक्कर लगा कर थक चुका हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। इस पर सीएम सैनी ने मंच से कहा कि बाद में मिलना। इसके बाद किसान से माइक छीन लिया गया और माहौल खराब होते देख आनन-फानन में कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।इससे पूर्व गांव कुलेरी के किसान संजय महता ने बताया कि वह खेती करता है और उसके परिवार की 150 एकड़ भूमि है। इसमें 25 एकड़ मेरे हिस्से में आती है। हम सात भाइयों ने 70 एकड़ में बाग लगाया हुआ है। नहरी पानी की बड़ी भारी दिक्कत है। वर्ष 2014 से सरकार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। पिछले सरकार में मुख्यमंत्री से भी मिलने का बहुत बार आग्रह किया, यहां तक की ट्वीट भी किया। ट्वीट का रिप्लाई भी मेरे पास आया और कहा गया कि जाकर संबधित विभाग से मिले। जब हम मिलने गए तो एक्सईएन साहब उल्टा हमें ही धमका देते और कहते हमारे विभाग का ऐप है उस पर जाकर देखो पानी टेल तक जा रहा है। इसके जवाब में मैं खुद तारीख और टाइम के साथ मोबाइल में रिकॉर्डिंग दिखाता हूं कि टेल पर पानी नहीं पहुंचा। यहां तक मैं रात को दो-दो बजे भी टेल पर पानी देखने गया हूं, लेकिन वहां पानी पूरा नहीं रहता। सिंचाई विभाग के अधिकारी हर बार उसे पानी पूरा आने की तसल्ली तो देते रहे, लेकिन पानी पूरा नहीं पहुंचाया। कभी अधिकारी कहते इस बार पीने का पानी चाहिए था, इसलिए औरों को दे दिया गया। वर्तमान में हालात यह बन गए है कि 70 एकड़ का हमारा बाग उजड़ गया है। वह सिमट कर 8-10 एकड़ का ही रह गया है।किसान संजय महता ने बताया कि गांव कुलेरी के एरिया में जमीनी पानी खारा है। अगर खारा पानी लगाते हैं तो सारी जमीन काली पड़ जाती है। खारे पानी में बागवानी तो किसी भी कीमत पर संभव नहीं है। मैंने सीएम से यही आग्रह किया था कि जल के बिना जीवन संभव नहीं है। जल ही नहीं होगा तो प्राकृतिक खेती कैसे करेंगे। मैं 2017 से प्राकृतिक खेती ही कर रहा हूं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर