Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में जल संवर्धन को लेकर संवाद कार्यक्रम आयोजित
इंदौर, 5 जून (हि.स.)। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि विकसित भारत के सपने की बुनियाद जल है। जल का संवर्धन करना अत्यंत जरूरी है। हमें हमारी पुरानी धरोहर जैसे तालाब, नदी, बावड़ी, कुएं आदि का संरक्षण एवं रखरखाव करना है, साथ ही इन धरोहरों को अतिक्रमण मुक्त भी करना है। पुरानी संस्कृति एवं इतिहास को देखें तो देश के प्रत्येक बड़े शहर एवं कस्बे किसी न किसी नदी के किनारे बसें है। आज यदि हम उनका संरक्षण नहीं करेंगे तो आने वाली पीढी के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। इस पुनीत कार्य में शैक्षणिक संस्थानों की महती भूमिका आवश्यक है।
मंत्री सिलावट गुरुवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागार में जल संवर्धन में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो.राकेश सिंघई ने की। इस अवसर पर प्रो. राजीव दीक्षित, डॉ. अजय शर्मा सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्राध्यापक, प्रोफेसर्स, शिक्षकगण आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मंत्री सिलावट ने कहा कि प्रदेश में कुल लगभग 207 नदियां हैं, इसीलिए मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है। इंदौर जिले में लगभग साढ़े तेरह (13.5) नदियां प्रवाहमान है, जिनमें से साढ़े सात (7.5) नदियों का उद्गम स्थल जानापाव पहाड़ी है।
उन्होंने कहा कि नारी शक्ति, युवा शक्ति, किसान तथा समाज के प्रबुद्धजन, डॉक्टर, वकील, समाजसेवियों आदि को साथ में लेकर जल संवर्धन को जन आंदोलन बनाये जाने की आवश्यकता है। जिस प्रकार हमने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, उसी प्रकार जल संवर्धन के लिए एक वृहद जन आंदोलन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर कैचमेंट एरिया खत्म हो गया है, उन कैचमेंट एरिया को पुनः पुराने स्वरूप में लाया जायेगा। उन्होंने बताया कि इंदौर जिले में कुल 345 तालाब हैं। 115 अमृत सरोवर है, जिनमें से 100 पर कार्य पूर्ण हो चुका है एवं 15 अमृत सरोवर का कार्य प्रगतिरत है।
कार्यक्रम में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से आये प्राध्यापक-प्रोफेसर आदि ने भी जल संवर्धन को लेकर अपने विचार व्यक्त किये।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर