वर्षा जल को वरदान बनाएं, जल संचयन की तकनीकी अपनाएं : डॉ. शिवसिंह रावत
डॉ शिवसिंह रावत


नई दिल्ली, 5 जून (हि.स.)। सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. शिवसिंह रावत का कहना है कि पानी के संकट से बचने के लिए हमें बारिश के पानी को बर्बाद होने से बचाना होगा। इसके लिए वर्षा जल संचयन की तकनीक को लोगों तक पहुंचाना होगा। सिंचाई विभाग हरियाणा के पूर्व अधीक्षण अभियंता एवं यमुना बचाओ अभियान के संयोजक ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कहा कि यदि हम मिलकर काम करें तो बारिश आपदा नहीं, अवसर बन सकती है।

डॉ. शिवसिंह रावत कई संस्थाओं जैसे कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, हमारा परिवार, स्वदेशी जागरण मंच एवं केबीसी संस्था के सहयोग से पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, शिक्षा में सुधार, महिला सशक्तिकरण आदि सामाजिक मुद्दों पर काम कर रहे हैं। डॉ.रावत ने कहना है कि मई एवं जून के महीनों में आमतौर पर तेज गर्मी और लू का प्रकोप रहता है, लेकिन इस बार देश के कई हिस्सों में लगातार बारिश हुई। इसने भारत में मौसम की पारंपरिक तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया। ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के चलते दक्षिण-पश्चिम मानसून का समय से पहले आना और वेस्टर्न डिस्टर्बन्स की असामान्य सक्रियता इसका मुख्य कारण रहे। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली ने 1901 के बाद मई में सबसे अधिक बरसात दर्ज की गई। वहीं मुंबई में भी 1918 का रिकॉर्ड टूटा। इस बारिश ने जहां लोगों को गर्मी से राहत दी, वहीं कई क्षेत्रों में जलभराव और बीमारियों का खतरा बढ़ा तथा फसलों को भारी नुकसान भी पहुंचा। शहरों में ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई थी। यानि बारिश का पानी अभिशाप बना हुआ है। दूसरी ओर हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल जिलों में भूजल बहुत नीचे चला गया। लोगों को गर्मियों में पीने के पानी के लाले पड़े हुए हैं। जिले में पानी की किल्लत है। भूजल खारा हो गया है। ऐसे में बारिश का पानी ही आशा की किरण बन सकता है। अब जरूरत है कि हम बारिश के पानी को बर्बाद होने से बचाएं और वर्षा जल संचयन की तकनीकी अपनाएं।

बारिश का पानी भी साबित हो सकता है वरदान

डॉ. शिवसिंह रावत ने आगे कहा कि बारिश का पानी वरदान भी साबित हो सकता है। यदि प्रशासन समय रहते बारिश के पानी को सहजने की व्यवस्था करे। दुनिया भर में प्रतिदिन लाखों लीटर वर्षा जल को स्टोर करने और जमीन को रीचार्ज करने के लिए उन्नत तकनीक उपलब्ध हैं। जरूरत इस बात की है कि शहरों में रोबोस्ट रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित किया जाए तथा स्टेडियम, पार्क एवं खेल के मैदानों के नीचे भूमिगत जल भंडारण की व्यवस्था की जाए। यदि हम हरियाणा की ही बात करें तो इस तकनीक को अपनाने से पलवल, हथीन, होडल, हसनपुर आदि शहरों को जल संकट से निजात दिलाई जा सकती है। गांवों का क्लस्टर बनाकर सभी तालाबों को अधिक प्रभावी रणनीति के तहत विकसित किया जाए। इन तालाबों की खुदाई करके ग्राउंडवॉटर हार्वेस्टिंग और रिचार्ज वेल्स लगाए जाएं। इससे भूजल रिचार्ज की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा यमुना के बाढ़ के पानी को स्टोर करके भूजल रिचार्ज करने की परियोजना शुरू की जाए। प्रशासन को ऐसी तकनीकी को अपनाने के लिए पहल करनी चाहिए। फिर इसे लोगों से भी अपनाने की अपील करनी चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह