डोडा-अफीम की जगह काजू-बादाम: बाड़मेर के दो भाइयों ने गंगा प्रसादी को बनाया नशामुक्ति का संदेशवाहक
मनुहार।


बाड़मेर, 5 जून (हि.स.)। जिले के भाड़खा गांव में एक अनोखा और प्रेरणादायी सामाजिक आयोजन देखने को मिला, जब दो बिजनेसमैन भाइयों ने वर्षों पुरानी गंगा प्रसादी की परंपरा को नशामुक्ति का संदेश देने वाले कार्यक्रम में बदल दिया। अहमदाबाद में फर्नीचर व्यवसाय करने वाले मदन सुथार और जेठाराम सुथार ने अपनी मां की तीर्थ यात्रा के उपरांत गांव लौटकर बारह गांवों के सैकड़ों लोगों के लिए गंगा प्रसादी का आयोजन किया, लेकिन इस बार इसमें डोडा-पोस्त या अफीम की नहीं, बल्कि काजू-बादाम और किशमिश की मनुहार की गई।

आयोजन स्थल पर जगह-जगह नशे से दूर रहने के संदेश वाले पोस्टर लगाए गए थे। खास बात यह रही कि एक पोस्टर में जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार की तस्वीर के साथ लिखा था कि

अफीम-डोडा नहीं चलेगा, आईजी विकास कुमार का आदेश चलेगा।

इसके साथ ही अन्य तख्तियों पर प्रेरक संदेश थे

सभा पवित्र है, नशा वर्जित है,

अफीम डोडा छोड़ो-परिवार और समाज से नाता जोड़ो।

आयोजन में बाड़मेर के प्रभारी मंत्री जोराराम कुमावत, विधायक आदूराम मेघवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष अनंतराम विश्नोई, पूर्व जिलाध्यक्ष दिलीप पालीवाल सहित अनेक जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

मदन सुथार ने बताया कि जब उन्होंने नशामुक्त प्रसादी की बात समाज में रखी, तो कुछ बुजुर्गों ने नाराजगी जताई। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर डोडा नहीं रखा, तो मेहमान नहीं आएंगे। लेकिन, सुथार भाइयों ने साफ कहा कि समाज और अगली पीढ़ी के लिए यह जरूरी है, इसलिए नशा नहीं परोसा जाएगा। जेठाराम सुथार ने बताया कि वे पिछले 10 वर्षों से नशा मुक्ति अभियान से जुड़े हुए हैं और सीएलजी सदस्य के रूप में समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि

हमने जो सपना देखा था, वह आज साकार हुआ। पहली बार हमारे गांव की ढाणी में गंगा प्रसादी में बिना किसी नशे के ऐसा भव्य आयोजन हुआ है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित