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नई दिल्ली, 4 जून (हि.स.)। केंद्रीय कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को पेंशन संबंधी शिकायतों के लिए समयबद्ध निवारण तंत्र बनाने का आह्वान किया।
नई दिल्ली में आयोजित 13वें अखिल भारतीय पेंशन अदालत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि सितंबर 2017 में शुरुआत के बाद से देशभर में 12 पेंशन अदालतें आयोजित की गई हैं, जिनमें कुल 25,416 मामले आए हैं। इनमें से 18,157 सफलतापूर्वक हल किए गए हैं। यानी समाधान दर 71 प्रतिशत से अधिक है।
उन्होंने भारत के पेंशनभोगियों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक संवेदनशीलता और दक्षता की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पेंशन अदालत मॉडल हाल के वर्षों में किए गए सबसे नागरिक-हितैषी सुधारों में से एक है। जितेन्द्र सिंह ने कहा कि एक पेंशनभोगी, जिसने राष्ट्र के लिए जीवन भर सेवा की है, उसे अपने हक के लिए इधर-उधर भटकना नहीं चाहिए। उन्होंने विभागों से ऐसे मामलों को सुलझाने में समग्र सरकार का दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निवारण केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं बल्कि पूर्वानुमानित, प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित और करुणा से प्रेरित होना चाहिए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पेंशन और पेंशनभोगियों के एक बड़े और अक्सर कमजोर वर्ग की ज्वलंत चिंताओं को स्वीकार करने वाले विषय को चुनने के लिए पेंशन और पेंशनभोगी विभाग को बधाई दी।
उन्होंने पेंशनभोगियों तक पहुंचने के लिए डिजिटल साधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, ये अदालतें न केवल शिकायत निवारण के लिए एक मंच का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि सरकार का वादा भी है कि कोई भी आवाज अनसुनी नहीं रहेगी।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह भी दोहराया कि सीपीईएनजीआरएएमएस (केंद्रीकृत पेंशन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) जैसी डिजिटल पहलों का तत्क्षण ट्रैकिंग और समाधान के लिए लाभ उठाया जाना चाहिए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विभागों और अधिकारियों से पेंशनभोगियों के साथ सिर्फ लाभार्थी के रूप में नहीं बल्कि “प्रशासनिक परिवार के सम्मानित सदस्य” के रूप में व्यवहार करने का आग्रह किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी