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भिण्ड, 4 जून (हि.स.)। नपा और यातायात पुलिस की ओर से सालों की कवायद के बाद भी शहर के प्रमुख बाजारों में अस्थाई अतिक्रमण से मुक्ति नहीं मिल पाई है। उक्त बाजारों में वाहन लेकर तो दूर पैदल चलना भी दूभर है। दुकानदारों में सामान सडक़ पर रखने की होड़ है। पिछले दिनों हुई कार्रवाई के बाद भी असर नजर नहीं आ रहा है।
सदर बाजार में नपा की सख्ती के बाद हाथ ठेला तो हॉकर्स जोन में पहुंच गए हैं लेकिन उन्हीं के परिजनों ने सदर बाजार में फड़ लगाना शुरू कर दिया है। यहां पर 10-10 फीट के फुटपाथ पर सालों से स्थानीय दुकानदारों का कब्जा है। मामला कोर्ट तक पहुंचने के बाद भी समाधान नहीं हो पाया है।
किराना, परचून और कपड़ा के थोक कारोबार के लिए पहचाने जाने वाले बताशा बाजार और स्टेशन रोड पर अतिक्रमण के चलते हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। करीब 7 साल पहले न्यायिक मजिस्टे्रट भी दुकानदारों पर जुर्माना लगा चुके हैं, लेकिन कोई सबक सीखने को तैयार नहीं है। नपा और यातायात पुलिस की इस ओर नजर ही नही हैं। बमुश्किल ६०० मीटर लंबी बताशा बाजार की सडक़ को पार करने में २५ से ३० मिनट का समय लग जाता है।
सहालग के मौसम में तो जाम खुलने के लिए घंटो का इंतजार करना पड़ता है। सडक़ से अतिक्रमण हटाने में न तो नपा की रूचि है न ही ट्रैफिक पुलिस की। करीब 30 फीट चौडी बतासा बाजार सडक़ पर धनवंतरि कंप्लेक्स की इंट्री से ही अतिक्रमण की शुरूआत हो जाती है। मुख्य सडक़ से 10 मीटर चलते ही फर्नीचर कारोवारियों ने पलंग, सौफा सेट, डे्रसिंग टेबिज आदि बड़े सामान सडक़ पर रखकर 10 से 15 फीट तक सडक़ पर अतिक्रमण कर लिया है। आगे बढ़ते ही परचून और किराना की थोक दुकाने आ जाती है।
दुकानदारों ने दोनो ओर 10 फीट तक सडक़ घेर कर डालडा तथा रिफाइंड के टीन शक्कर के बोरे तथा अन्य सामान रखकर रास्ता घेर लिया है।
सहालग में थोक का सामान खरीदने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण टे्रक्टर ट्रालियां, लोडिंग वाहन लेकर आते हैं जो वाहन सहित सीधे बाजार में आ धमकते हैं। कई बाहनों के आमने सामने आ जाने से दिन भर जाम के हालात बनते रहते हैं। फुटकर दुकानों को माल की सप्लाई ले जाने वाले चार पहिया ठेला और टमटम वाले रही सही कसर पूरी कर देते हैं। इसके अलावा सडक़ पर ही बाइक्स तथा स्कूटी भी बेतरतीब तरीके से खड़े रहते हैं। धनवंतरि कंप्लेक्स से लेकर कृष्णा होटल के पीछे तक जाम से हाल बेहाल रहता हैं।
40 फीट चौड़ी सडक़ पर अतिक्रमण, सिर्फ पैदल निकल पाते हैं लोग
परेड चौराहे से पुराने स्टेशन की ओर जाने वाले स्टेशन रोड के हालात बद से बदतर है। करीब 40 फीट चौड़ी इस सडक़ पर प्रवेश स्थान से ही अतिक्रमण शुरू हो जाता है। सब्जी मंडी तक सिर्फ पैदल या बाइक लेकर ही निकल सकते हैं वो भी बमुश्किल। कार तो इस रोड़ से निकल ही नहीं पाती। पहले दुकानदारों का अतिक्रमण इसके बाद अवैध पार्किग इसके बाद हाथ ठेला वालों का इस सडक़ पर अतिक्रमण रहता है।
शहर के प्रमुख बाजारों में अतिक्रमण का मुख्य कारण सामान सडक़ पर रखने में होड़ को माना जा रहा है। शुरूआत में जिसकी दुकान होती है वह दो फीट अतिक्रमण करता है तो उसके बाद वाला ५ फीट सडक़ घेर लेता है, इसके बाद अतिक्रमण बढता ही जाता है। स्टेशन रोड, सब्जी मंडी, पुस्तक बाजार, महावीरगंज, सदर बाजार, गोल मार्केट, बजरिया, हाउसिंग कालोनी, इटावा रोड, लश्कर रोड के हालात भी बद से बदतर होते जा रहे हैं।
अब्बल तो ट्रैफिक पुलिस और नपा के अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने की फुर्सत ही नहीं है। राजनैतिज्ञों को रोज परेशान होने वाले हजारों की लोगों की परवाह नहीं है मगर ट्रैफिक व्यवस्था को पंगु बनाने वालों में उनकों वोट बैंक नजर आता है। यहीं कारण है कि १० साल से चली आ रही अतिक्रमण मुहिम आगे नहीं बढ़ पा रही।
भिण्ड ट्रैफिक प्रभारी राघवेंद्र भार्गव का कहना है कि सहालग के सीजन में ज्यादा दिक्कत आती है। वाहनों को रोकने के लिए अग्रसेन चौराहे पर प्वाईंट लगाया है, लेकिन ट्रैक्टर मेला की तरफ से आ जाते हैं। अतिक्रमण हटाने के लिए नपा के सहयोग से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। कई बार कार्रवाई हो चुकी है। जुर्माना और सामान भी जब्त किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा