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बीकानेर, 4 जून (हि.स.)। उत्तर पश्चिम रेलवे के बीकानेर मंडल में रेलवे ट्रैक के पास उग आए पेड़ और झाड़ियां रेल संचालन के लिए गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं। ये न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि ट्रेन संचालन और समयबद्धता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
रेवाड़ी-सादुलपुर, रेवाड़ी-बठिंडा और भिवानी-रोहतक जैसे रेलखंडों में ट्रैक के निकट मौजूद वृक्षों के कारण आंधी, तूफान और बरसात के मौसम में कई बार पेड़ ट्रैक पर गिर जाते हैं। इससे ट्रेनें बाधित होती हैं और कभी-कभी जान-माल की हानि की भी नौबत आ जाती है। ऐसे में रेलवे विभाग नियमित रूप से ट्रैक के पास पेड़ों की छंटाई करता है ताकि पर्यावरण संतुलन भी बना रहे और संचालन भी सुचारु रहे। हालांकि हरियाणा से सटे कुछ रेलखंडों में राज्य सरकार के वन विभाग से पेड़ों की कटाई या छंटाई की अनुमति नहीं मिलने के कारण रेल संचालन बाधित हो रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से वन विभाग को इस मुद्दे पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर आवश्यक अनुमति देनी चाहिए।
ट्रैक पर पेड़ गिरने से जहां संचालन बाधित होता है, वहीं ओएचई (ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर) से शाखाओं के टकराने पर बिजली आपूर्ति भी ठप हो जाती है, जिससे ट्रेनें बीच रास्ते में खड़ी हो जाती हैं। मॉनसून के समय पत्तों और टहनियों के गिरने से ट्रैक फिसलन भरे हो जाते हैं, जो तेज रफ्तार ट्रेनों के लिए खतरा बनते हैं।
रेलवे विभाग वन विभाग के साथ समन्वय कर नियमित रूप से पेड़ों की पहचान और छंटाई करता है। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक भूपेश कुमार ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाते हुए यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेनों की समयबद्धता सुनिश्चित की जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव