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नई दिल्ली, 4 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के भिंड में रेत माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग करने वाले दो पत्रकारों की अग्रिम जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 9 जून को करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पत्रकारों को फिलहाल अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पहले राज्य सरकार का जवाब आ जाने दीजिए, उसके बाद हम अंतरिम राहत पर बात करेंगे।
सुनवाई के दौरान अमरकांत सिंह चौहान ने कहा कि चंबल नदी में अवैध रुप से बालू खनन की उनकी रिपोर्टिंग से भिंड के एसपी नाखुश थे। एसपी के डर से पत्रकार भिंड से भागकर दिल्ली आ गये थे। बावजूद इसके एसपी की ओर से उन्हें और उनके परिवार काे धमकियां दी जा रही थीं।
इसी मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्रकार अमरकांत सिंह चौहान को दो महीने तक दिल्ली पुलिस की सुरक्षा का आदेश दिया है। पत्रकार अमरकांत सिंह चौहान एक न्यूज चैनल में भिंड के ब्यूरो चीफ हैं। उन्होंने याचिका दायर कर भिंड के एसपी असित यादव से अपने और अपने परिवार के सदस्यों से बचाने की मांग की है।
सुनवाई के दौरान अमरकांत सिंह चौहान ने कहा कि चंबल नदी में अवैध रुप से बालू खनन की उनकी रिपोर्टिंग से भिंड के एसपी नाखुश थे। अवैध बालू खनन स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से चलाया जा रहा था। एसपी के डर से अमरकांत सिंह चौहान भिंड से भागकर दिल्ली आ गये थे। दिल्ली आने के बावजूद एसपी की ओर उन्हें धमकियां दी जा रही थीं।
सुनवाई के दौरान अमरकांत सिंह चौहान की ओर से पेश वकील वरीसा फरासत ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में मध्य प्रदेश पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगे। तब कोर्ट ने कहा कि इसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट की बजाय मध्य प्रदेश हाई कोर्ट उचित फोरम है। तब फरासत ने कहा कि वे स्टेटस रिपोर्ट की मांग पर जोर नहीं दे रहे हैं लेकिन याचिकाकर्ता को दिल्ली में सुरक्षा दी जाए क्योंकि उनके और उनके परिवार के सदस्यों की जान को खतरा है।
याचिका में कहा गया है कि अमरकांत सिंह चौहान और दूसरे पत्रकार शशिकांत जाटव को एक मई को भिंड एसपी ने चाय पीने के लिए अपने चैंबर में बुलाया। वहां एसपी असित यादव और उनके अधीनस्थों ने उनकी जमकर पिटाई की। इस दौरान करीब आधे दर्जन पत्रकार एसपी दफ्तर में मौजूद थे। उन पत्रकारों को भी नंगा कर पिटाई की गई थी। 4 मई को चौहान और जाटव जब ग्वालियर से दिल्ली सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलकर अपना दुखड़ा बताने आ रहे थे तो उन्हें एक दूसरे पत्रकार सौरभ शर्मा ने दिल्ली सड़क मार्ग से चलने के लिए कहा। लेकिन उन्हें नजदीक के एक ढाबा में ले जाया गया जहां कुछ पुलिस अधिकारी पहले से इंतजार कर रहे थे। वे पुलिस अधिकारी उन्हें भिंड के एसपी के आवास पर समझौते के लिए ले गए।
दोनों पत्रकारों को दोबारा 5 मई को एसपी दफ्तर बुलाया गया जहां उन्हें पुलिस अधिकारियों के समक्ष एक वीडियो बयान जारी करने के लिए मजबूर किया गया कि उन्होंने एसपी से समझौता कर लिया है। इस वीडियो बयान को भिंड पुलिस ने व्हाट्स ऐप के जरिये सर्कुलेट कर दिया ताकि उनकी विश्वसनीयता खत्म हो जाए। उसके बाद 19 मई को दोनों पत्रकार भागकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत दर्ज कराने दिल्ली आए।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी