नैनीताल राजभवन में दुर्लभ धरोहरों के संरक्षण की अत्याधुनिक पहल
नैनीताल राजभवन में मौजूद सुल्ताना डाकू द्वारा प्रयुक्त बंदूकें, भाले, ढाल-तलवार व खंजर आदि।


नैनीताल, 4 जून (हि.स.)। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह की पहल पर नैनीताल राजभवन परिसर में मौजूद 125 वर्षों से भी अधिक पुरानी दुर्लभ धरोहरों के प्रबंधन को आसान बनाने के लिए अत्याधुनिक व सुव्यवस्थित इन्वेंटरी प्रणाली विकसित की गई है। इसके लिये यहां उपस्थिति वस्तुओं की सूची तैयार कर उन पर क्यूआर कोड लगाए गये हैं, जिससे उनके संरक्षण और प्रबंधन को डिजिटल रूप से सुदृढ़ किया जा सके। इनमें अन्य वस्तुओं के साथ यहां मौजूद प्राचीन छापाखाना, एंटीक फर्नीचर, ऐतिहासिक बर्तन, सुल्ताना डाकू के द्वारा प्रयोग किये गये अस्त्र-शस्त्र, बंदूक, भाले, ढाल, तलवार, खंजर एवं धनुष-बाण जैसी दुर्लभ वस्तुएं भी शामिल हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल राजभवन में सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से विकसित इन्वेंटरी प्रबंधन प्रणाली को वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने तैयार किया है और इसे लोक निर्माण विभाग द्वारा कार्यान्वित किया गया है। क्यूआर कोड को स्कैन करते ही संबंधित वस्तु की पूरी जानकारी डिजिटल माध्यम से प्राप्त हो जाती है। इससे कागजी अभिलेख भरने की आवश्यकता नहीं रह गई है और त्रुटियों की संभावना भी लगभग समाप्त हो गई है। राजभवन से संबद्ध अधीक्षण अभियंता मनोहर सिंह से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह तकनीकी नवाचार धरोहरों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वस्तुओं की जानकारी सुरक्षित रखने के साथ-साथ आगंतुकों और शोधकर्ताओं के लिए भी उपयोगी सुविधा सुनिश्चित की गई है।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी