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नई दिल्ली, 4 जून (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएसईएफआई) द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय कृषि-नवीकरणीय ऊर्जा शिखर सम्मेलन 2025’ में कहा कि किसानों को अन्नदाता के साथ उर्जादाता भी बनना चाहिए। उन्होंने फेडरेशन द्वारा तैयार कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा पर रिपोर्ट एवं वार्षिक संदर्भ पुस्तिका का विमोचन किया।
शिवराज सिंह ने बताया कि 2014-15 के बाद प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उत्पादन 40 प्रतिशत बढ़ चुका है। गेहूं, चावल, मक्का, मूंगफली में उत्पादन बढ़ रहा है लेकिन अब हमें दलहन-तिलहन के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कदम उठाने होंगे। शिवराज सिंह ने कहा कि बिना कृषि के भारत का काम नहीं चल सकता। 50 प्रतिशत लोगों को आज भी कृषि से रोजगार मिलता है। बदलते समय के अनुसार अब इंटीग्रेटेड फार्मिंग यानी एकीकृत कृषि प्रणाली को भी अपनाना होगा, इसके माध्यम से सीमांत किसान अपनी जमीन के हर एक हिस्से का सही उपयोग कर समृद्धि के मार्ग पर तेजी से बढ़ सकते हैं।
शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों को बिजली उपलब्ध कराने के लिए सोलर पैनल बड़ा माध्यम बन सकता है। किसानों के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करने हेतु पीएम कुसुम योजना इसी दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसा कदम हमारे छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बना देगा। इस मॉडल को और अधिक विकसित करने के साथ-साथ इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। भविष्य में अगर इसका कारगर और आधुनिकतम मॉडल संज्ञान में लाया जाता है तो निश्चित तौर पर सरकार इसे आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
चौहान ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस को सार्थक बनाने का आह्वान किया और कहा कि पर्यावरण बचाने में सौर ऊर्जा मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी