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जयपुर, 4 जून (हि.स.)। नया दृष्टिकोण वाले शिविर में दूसरे दिन बुधवार को स्वास्थ्य के प्रति सजग साधकों ने भवानी निकेतन परिसर सीकर रोड में सन टू ह्यूमन प्रमुख परमालय जी की प्रशिक्षिका मां गार्गी ने जीवन के जुड़े अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेष संबोधन दिया। सुबह सवा 5 बजे रिमझिम बारिश के बीच उन्हें सुनने के लिए गुलाबी शहर उमर पड़ा। इनमें कई लोग ऐसे थे जिन्होंने गत शिविर में आकर यहां बताए गए जीवन जीने के ढंग और नियमों का पालन किया। इस दौरान उन्होंने कई असद बीमारियों से छुटकारे की बात बताई तो मंच पर संबोधन कर रही मां गार्गी अपने यहां आने के संकल्प को सफल बता रही थी। मां गार्गी ने बताया कि शरीर में 70 प्रतिशत जल होता है। हमें जल तत्व यानी लार को मजबूत करना है। हमारा पहला सुबह का भोजन नाश्ता अल्कलाइन होना चाहिए।
इस मौके पर संबोधन में उन्होंने कहा कि हमारा जीवन अमूल्य धरोहर है इसे अपने लिए संभाल कर रखना होगा। इसका सदुपयोग सही करेंगे तो जीवन में आनंददायक होगा। उन्होंने बताया कि शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए भोजन ही मुख्य आधार है। हमें भोजन का डिजाइन किस रूप में करना है इसे पूरी तरह समझना होगा।
मां गार्गी ने इस मौके पर अनेक महत्वपूर्ण सूत्र बताते हुए कहां की भोजन हमारे जीवन में बहुत बड़ी घटना है। भोजन यदि सही होगा तो ही शरीर सही रहेगा। हम अपने शरीर को स्वस्थ और सही रख सकते हैं। यदि हमारा भोजन सही होगा तो हमारा आचरण- व्यवहार भी सही होगा। उन्होंने बताया कि यह निश्चित है कि हम जैसा भोजन करते हैं वैसा ही हमारा शरीर कार्य करेगा। आज तक विज्ञान भी कोई ऐसी चीज नहीं बन पाई जो ब्लड में कन्वर्ट कर दे, लेकिन भोजन ही एक ऐसी चीज है जिससे रक्त बनता है। भोजन ही रक्त में परिवर्तन होता है। मां गार्गी ने महत्वपूर्ण उदाहरण देते हुए बताया कि आज हम अपनी कार जिसकी कीमत लाखों में होती है उसका पूरा ध्यान रखते हैं। हम उसे गलत जगह नहीं चलाते और ना हि किसी कार से जानबूझकर कहीं टकराते है। यदि कार में पेट्रोल खत्म हो जाए तो जहां अच्छा पेट्रोल पंप होता है वहीं से पेट्रोल लेकर आते हैं। हम पेट्रोल की जगह उसमें डीजल नहीं डालते या डीजल की जगह पेट्रोल नहीं डालते। कार का जो भोजन है वही उसमें डालते हैं। जबकि हम अपने शरीर में कुछ भी डाल लेते हैं। पकौड़ी, पिज़्ज़ा, बर्गर आदि। हम यह एक बार भी नहीं सोचते कि हमारे शरीर के लिए यह क्या कार्य करेगा। हमारे शरीर के लिए खाने लायक भी है या नहीं। मां गार्गी ने बताया कि हमारे शरीर से कैसा रहेगा हमें एक बार उसे बारे में नहीं सोचते भोजन कोई छोटी घटना नहीं है।
अन्नमय कोष ही हमारी पहली सीढ़ी
मां गार्गी ने बताया कि अन्नमय कोष ही हमारी पहली सीढ़ी होती है। यदि हमारा अन्नमय कोष सही-सलामत होगा तो प्राणमय कोष, आनंदमय कोष और बाकी की सभी चीजें भी सही होगी। शिविर के दौरान मंच से शरीर की भीतर की संरचना के बारे में भी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। इसमें कैसे हमारा भोजन किन-किन हिस्सों से होकर गुजरता है और शरीर में जाकर कैसे पचता हैं और उसे किस-किस प्रकार कार्य करना पड़ता है इसके बारे में विस्तृत रूप से बताया। हमें शुगर हो जाती है तो उसे हम उसे ठीक करते हैं, कंट्रोल में लाते हैं फिर पुनः अपना भोजन खराब करते हैं, फिर वापस वहीं आ जाते हैं जहां से शुरू हुए थे। प्रत्येक कारण निरंत जरूरी है।
इस मौके पर शिविर स्थल पर नाभि झटका प्रयोग, ताली बजाना, ताड़ासन आदि प्रयोग भी करवाएं तो पूरा आयोजन स्थल गूंज उठा। मीडिया प्रभारी राजेश नागपाल ने बताया कि साधकों ने शिविर के बाद 20 प्रकार का विशेष एल्कलाइन नाश्ता किया और एनर्जी टी के बाद भरपूर छाछ का आनंद लिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश