जीरो कार्बन एमिशन प्रणाली से लैस मेट्रो पर्यावरण संरक्षण की पेश कर रही मिसाल: सुशील कुमार
कानपुर मेट्रो में बनी ग्रीन बेल्ट


कानपुर मेट्रो डीपो में सौर्य ऊर्जा का प्रबंध का फोटो


कानपुर, 04 जून (हि. स.)। क्लीन मेट्रो, ग्रीन मेट्रो को सार्थक बनाने के लिए अन्य सार्वजनिक परिवहन के साधनों की तुलना में मेट्रो पर्यावरण की सबसे अच्छी मित्र है क्योंकि मेट्रो प्रणाली जीरो कार्बन एमिशन के साथ संचालित होती है। मेट्रो परियोजनाओं के विकास के आधार में पर्यावरण संरक्षण का कारक प्रमुख होता है। यूपीएमआरसी ने परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और उनकी स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। कई ऐसी पहल हैं जिन्हें यूपीएमआरसी ने देश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार किया है। यह बातें बुधवार को यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने पर्यावरण दिवस पर कही।

प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि मेट्रो शहरवासियों के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के क्षेत्र में हरित समाधान प्रस्तुत कर कार्बन उत्सर्जन के स्तर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।कॉरिडोर-एक के अंतर्गत (आईआईटी से नौबस्ता) आईआईटी से कानपुर सेंट्रल तक मेट्रो कॉरिडोर पर विकसित किए गए ग्रीन बेल्ट की तर्ज पर अब लगभग पांच किमी लंबे बारादेवी-नौबस्ता एलिवेटेड सेक्शन पर भी ग्रीन बेल्ट विकसित करने का कार्य पूरा कर लिया गया है। बारादेवी से नौबस्ता तक बन रहे एलिवेटेड सेक्शन के नीचे लगभग 1200 वर्ग मीटर के क्षेत्र में हरियाली विकसित की गई है। इससे सड़क की शोभा बढ़ने के साथ ही वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।

उन्होंने बताया कि कानपुर मेट्रो द्वारा अब तक मेट्रो डिपो और मीडियन को मिलाकर कुल 35,000 वर्ग मीटर के हरियाली कवर का विकास किया गया है। बारादेवी-नौबस्ता सेक्शन पर ग्रीन बेल्ट के विकास के साथ वर्षा जल संरक्षण के लिए भी जरूरी इंतजाम किए गए हैं। मेट्रो वायडक्ट (पुल) के हर दूसरे स्पैन पर पानी को नीचे मीडियन में लगे पिट तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।

कानपुर व आगरा मेट्रो में इन्वर्टर का प्रयोग

देश में पहली बार कानपुर एवं आगरा मेट्रो में थर्ड रेल डीसी सिस्टम के साथ खास इन्वर्टर लगा कर ऊर्जा संरक्षण के लिए इनोवेशन किया गया है। इस खास इन्वर्टर से ट्रेन में लगने वाले ब्रेक्स से पैदा होने वाली ऊर्जा को वापस सिस्टम में इस्तेमाल के योग्य बनाया जा रहा है। कानपुर मेट्रो और आगरा ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता लगभग 40-45 प्रतिशत है यानी प्रत्येक 1000 यूनिट ऊर्जा के व्यय पर 400-450 यूनिट तक ऊर्जा को संरक्षित कर पुनः मेट्रो सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाता है। अभी तक देश में थर्ड रेल डीसी सिस्टम से परिचालित किसी भी मेट्रो परियोजना में ऐसी व्यवस्था नहीं है। रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करने और संरक्षित करने के लिए मेट्रो ट्रेनों और लिफ्टों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कार्बन डाईऑक्साइड सेंसर आधारित एच.वी.ए.सी. नियंत्रण प्रणाली से लैस

उत्तर प्रदेश मेट्रो भारत में पहली मेट्रो सेवा है। जिसकी ट्रेन कार्बन डाईऑक्साइड सेंसर आधारित एच.वी.ए.सी.( हीटिंग, वेंटिलेशन एण्ड एयर कंडिशन) नियंत्रण प्रणाली से लैस है। इस प्रणाली के तहत कोच के अंदर कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा जैसे ही तय मानक के ऊपर जाती है। स्वचालित एयर कंडीशन शुरु हो जाता है। कोच के अंदर कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा कम होते ही एयर कंडीशन बंद हो जाता है इससे 12-16 प्रतिशत ऊर्जा की बचत होती है। इसमें भी यूपीएमआरसी ने पहल की थी।

कानपुर मेट्रो डिपो में सौर ऊर्जा की व्यवस्था

यूपीएमआरसी ने कानपुर मेट्रो डिपो में एक मेगावाट क्षमता का सोलर रूफ टॉप प्लांट स्थापित किया है। कानपुर मेट्रो के एलिवेटेड स्टेशनों के छत पर ट्रांसलूसेंट शीट लगाए गए हैं, जिससे दिन के समय सूर्य की रोशनी आती है और बिजली की बचत होती है।

आईआईटी से कानपुर सेंट्रल तक ग्रीन बेल्ट का विकास

कानपुर मेट्रो आईआईटी से कानपुर सेंट्रल तक मीडियन और मेट्रो डिपो को मिलाकर लगभग 35,000 वर्ग मीटर का ग्रीन कवर प्रदान कर रहा है।

कानपुर के नौ एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन आईजीबीसी से प्रमाणित

कानपुर मेट्रो के पर्यावरण के प्रति प्रयासों को देखते हुए इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) ने कानपुर के नौ एलिवेटेड मेट्रो स्टेशनों को प्लेटिनम रेटिंग से प्रमाणित किया है।

कानपुर और आगरा मेट्रो में जीरो डिस्चार्ज सुविधा

कानपुर और आगरा मेट्रो डिपो में जीरो डिस्चार्ज सुविधा से सुनिश्चित होता है कि पर्यावरण में प्रदूषण का एक कण भी ना जाए।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद