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इंदौर, 4 जून (हि.स.)। प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने कहा कि मध्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश देश के कुल दुग्ध उत्पादन का लगभग नौ प्रतिशत योगदान देता है, जिसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सभी जिलों के कलेक्टरों को अपने-अपने जिलों में समुचित कार्य योजना बनाकर विशेष प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं।
कृषि उत्पादन आयुक्त वर्णवाल बुधवार को इंदौर में आयोजित संभागीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बैठक में पशुपालन, पशु चिकित्सा, डेयरी विकास, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य पालन विभाग द्वारा संचालित योजनाओं, कार्यक्रमों और गतिविधियों की विस्तार से समीक्षा की। बैठक में प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव, संभागायुक्त दीपक सिंह, इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह सहित संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
कृषि उत्पादन आयुक्त वर्णवाल ने पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि गौ पालन को प्रोत्साहित किया जाये। अच्छी गौ-शालाएं संचालित करने वालों को शासकीय योजनाओं और सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ दिया जाये। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिले ऐसे प्रयास सभी कलेक्टर अपने-अपने जिलों में प्राथमिकता से करें।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि दुग्ध उत्पादन हर हाल में बढ़े, इसके लिये राज्य शासन द्वारा विशेष योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। उन्होंने पशुओं की नस्ल सुधार पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इसके लिये कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का प्रभावी और परिणामूलक क्रियान्वयन हो। मुर्गी पालन एवं बकरी पालन की गतिविधियों से अधिक से अधिक हितग्राहियों को जोड़ा जाये। इसके लिये समस्त जिला पंचायत सीईओ विशेष रूप से प्रयास करें। उन्होंने निर्देश दिये कि दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध संग्रहण की प्रगति बढ़ाते हुए अधिक से अधिक पशुपालकों को समितियों से जोड़ा जाये।
वर्णवाल ने कहा कि मत्स्य उत्पादन में भी वृद्धि की व्यापक संभावनाएँ हैं। इसके लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन को आर्थिक रूप से लाभप्रद बनाया जा सके। उन्होंने मत्स्य पालन के क्षेत्र में नवाचार और आधुनिक पद्धतियों को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने मत्स्य पालन की नवीन पद्धतियों को बढ़ावा देने के निर्देश देते हुए कहा कि केज पद्धति से मत्स्य पालन एक आर्थिक रूप से लाभप्रद गतिविधि के रूप में तेजी से उभर रही है, जिसे व्यापक रूप से अपनाने की आवश्यकता है।
वर्णवाल ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि केज पद्धति के अंतर्गत जिलेवार लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें समय-सीमा में पूर्ण कराया जाए। इसके साथ ही बायो फ्लॉक पद्धति को भी प्रोत्साहित किया जाये, जिससे कम स्थान में अधिक उत्पादन संभव हो सके। उन्होंने कहा कि इन आधुनिक तकनीकों से मत्स्यपालन को ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार का प्रभावी माध्यम बनाया जा सकता है। उन्होंने जिला पंचायत के सीईओ एवं मत्स्य अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अधिक से अधिक हितग्राहियों को जोड़कर योजनाओं का लाभ दिलाएँ। किसान क्रेडिट कार्ड से अधिक से अधिक मत्स्य पालन हितग्राहियों को जोड़कर लाभान्वित किया जाये।
समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों ने विभिन्न योजनाओं की प्रगति, लक्ष्यों की पूर्ति और आने वाली चुनौतियों की जानकारी दी। वर्णवाल ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जमीनी स्तर पर योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें ताकि प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर