एमजीसीयू में शिक्षा नीतियाँ एवं भारत में उच्च शिक्षा विषयक व्याख्यान का आयोजन
व्याख्यान देते मुख्य वक्ता मोरध्वज वर्मा


पूर्वी चंपारण,04 जून (हि.स.)।महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग द्वारा “शिक्षा नीतियाँ एवं भारत में उच्च शिक्षा” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. मोरध्वज वर्मा थे। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई, जिसके पश्चात विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार ने मुख्य अतिथि एवं उपस्थितजनों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत की।

बतौर मुख्य वक्ता व्याख्यान में प्रो. मोरध्वज वर्मा ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था के ऐतिहासिक विकास क्रम को विस्तार से प्रस्तुत करते हुए लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति (1835), वुड डिस्पैच (1854), प्रमुख विश्वविद्यालयों की स्थापना, पंचवर्षीय योजनाओं में शिक्षा की स्थिति और वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदुओं पर विश्लेषणात्मक चर्चा करते कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक परिवर्तन तभी संभव है जब हम सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का कम-से-कम 6% शिक्षा पर खर्च करने की नीति को धरातल पर उतारने के लिए ठोस प्रयास करें।

उन्होंने सुझाव दिया कि यदि बजट में विवेकपूर्ण संतुलन स्थापित किया जाए तो यह लक्ष्य कठिन नहीं है। प्रो. वर्मा ने भारतीय लोकतंत्र में शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, जिस प्रकार रक्षा क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप सीमित होता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षा को भी स्वतंत्र और निर्बाध होना चाहिए। शिक्षकों को पढ़ाने और छात्रों को सीखने की स्वतंत्रता ही किसी भी लोकतांत्रिक देश की असली पहचान होती है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सुनील महावर ने अपने उद्बोधन में कहा, शिक्षकों को शिक्षण और शोध कार्यों के लिए अधिकतम समय दिया जाना चाहिए ताकि वे शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ कर सकें।

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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार